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BNMU Website: जो हो गये सेवानिवृत्त उन्हें भी बता रहे पदाधिकारी, वेबसाइट मेंटेनेंस कराने के बाद भी फजीहत

बीएनएमयू वेबसाइट पर जो हो गये सेवानिवृत्त उन्हें पदाधिकारी भी बता रहे हैं. पदाधिकारी बीएनएमयू के वेबसाइट में इतनी बड़ी लापरवाही व गलती बीएनएमयू की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है.

मधेपुरा. समय-समय पर बीएनएमयू अपनी वेबसाइट से जुड़े बिंदुओं को लेकर चर्चा में रहा है. बीएनएमयू अपनी वेबसाइट से अभी तक दुरुस्त सूचना देने में सबल नहीं हो सका है, जो दुखद है. वाम छात्र संगठन एआइएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने बीएनएमयू के वेवसाइट पर सवाल खड़ा करते हुये कहा कि जो प्राचार्य व पदाधिकारी को सेवानिवृत्त हुए समय हो गये आखिर उन्हें किस हालात में बीएनएमयू अभी भी उक्त पद पर दिखा रहा है. बीएनएमयू कुलपति व कुलसचिव को लिखे पत्र में राठौर ने संगठन की नाराजगी जताते हुए इसे कुव्यवस्था व अराजकता की पराकाष्ठा बताया और कहा कि आखिर बीएनएमयू का और कितना मजाक बनता रहेगा. लाखों के वेतन लेने वाले पदाधिकारी किस काम के लिए हैं.

वेबसाइट मेंटेनेंस कराने पर भी झेलनी पड़ रही है फजीहत

विवि की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सामान्य रूप से सरकारी कार्यालयों व बिहार के अन्य विवि में वेबसाइट मेंटेनेंस का काम भारत सरकार के सरकारी उपक्रम एनआइसी द्वारा सफलता पूर्वक नि:शुल्क किया जा रहा है, लेकिन कमीशन के खेल के लिए बीएनएमयू प्राइवेट कंपनी को लाखों रुपये देकर मेंटेनेंस करवाती है, उसके बाद भी यह हालत है. राठौर ने कहा कि एनआइसी द्वारा कई बार नि:शुल्क सेवा के अनुरोध के बाद भी बीएनएमयू प्रशासन ने उसे तरजीह देने के बजाय प्राइवेट कंपनी को लाखों देकर काम कराना जरूरी समझा, जो कई स्तरों पर गोपनीयता के नजर में सुरक्षित भी नहीं प्रतीत होता है. उसके बावजूद यह फजीहत झेलनी पड़ रही है. राठौर ने मांग किया कि इन सारे बिंदुओं पर गंभीरता दिखाते हुए सूचना को सुधार करते हुए सही किया जाये. साथ ही वेबसाइट मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भारत एनआइसी को सौंपा जाये, जिससे गोपनीयता पर कोई खतरा भी न रहे.

कब के हो गये हैं सेवानिवृत्त, लेकिन पर बने हुये हैं कॉलेज के प्राचार्य–

बीएनएमयू के वेबसाइट पर रमेश झा महिला कॉलेज सहरसा की प्राचार्य डॉ रेणु सिंह, ठाकुर प्रसाद कॉलेज मधेपुरा के प्राचार्य डॉ केपी यादव, भूपेंद्र नारायण मंडल वाणिज्य कॉलेज मधेपुरा के प्राचार्य, आरएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल कांत मिश्रा समेत कई अन्य कब के सेवानिवृत्त हुये, लेकिन वर्तमान में भी संबंधित कॉलेज के प्राचार्य के रूप में उन्हें दिखाया गया है. वहीं विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग में आज भी प्रो बद्री प्रसाद यादव को प्रो इंचार्ज दिखाना रही सही कसर पूरी कर रहा है, जबकि उनके सेवानिवृत हुए काफी लंबा समय हो गया है . इधर, ताजा तरिन मामला भी कम दिलचस्प नहीं है. अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ पवन कुमार, एमएलटी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य बना दिये गये हैं, पीआरओ डॉ सुधांशु शेखर को पद मुक्त कर उप-कुलसचिव स्थापना बना दिया गया है, परिसंपदा पदाधिकारी डॉ बिजेंद्र यादव बहुत पहले पद मुक्त हो गये, लेकिन आलम यह है कि बीएनएमयू का वेबसाइट आज भी उन्हें उक्त पद पर दिखा रहा है.

कार्यकाल खत्म कर चुके कुलसचिव भी वेबसाइट पर बने हुये हैं

बीएनएमयू के वेबसाइट में इतनी बड़ी लापरवाही व गलती बीएनएमयू की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है. विश्वविद्यालय से जुड़ी सूचना देने के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म पर इस प्रकार की बवंडर गलतियां कई बिंदुओं पर संदेह को जन्म दे रही है. इससे बड़े स्तर पर आम लोगों को गलत जानकारी ही प्राप्त होती है. वहीं न जाने किसकी गलती से बहुत पहले अपना कार्यकाल खत्म कर चुके कुलसचिव रहे डॉ कपिलदेव यादव को यूजीसी वेबसाइट आज भी बतौर बीएनएमयू कुलसचिव दिखा रहा है, जबकि वर्तमान कुलसचिव डॉ मिहिर के कार्यकाल के लगभग एक साल होने को है.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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