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इस सीजन जामुन की कीमत में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी

गर्मी के दस्तक के साथ ही बिहारशरीफ के लोकल फल बाजारों में रौनक लौट आई है. आम, फनेला, कोवा और जामुन जैसे देसी फलों की बिक्री शुरू हो गई है.

बिहारशरीफ. गर्मी के दस्तक के साथ ही बिहारशरीफ के लोकल फल बाजारों में रौनक लौट आई है. आम, फनेला, कोवा और जामुन जैसे देसी फलों की बिक्री शुरू हो गई है. हालांकि इस बार इन फलों की कीमत और उपलब्धता को लेकर लोगों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.वर्तमान में बाजार में आम सबसे ज्यादा और सबसे सस्ते दाम में उपलब्ध है. आम की कीमत 20 से 30 रुपये प्रति किलो तक है, जिससे यह हर वर्ग के लिए सुलभ है. कोवा भी ग्राहकों की पसंद बना हुआ है, जो 10 रुपये में तीन पीस मिल रहा है. कोवा की यह कीमत बीते तीन वर्षों से स्थिर बनी हुई है. वहीं दूसरी ओर, जामुन की कीमत में भारी उछाल दर्ज किया गया है. इस वर्ष पके हुए जामुन 120 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं, जबकि पिछले साल यही जामुन 80 रुपये किलो में बिकते थे. यानी जामुन की कीमत में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. रामचंद्रपुर के फल विक्रेता जीतेंद्र बताते हैं कि जिले में जामुन के बगीचे बहुत कम हैं. केवल कुछ ही लोगों के घरों में जामुन के पेड़ हैं, जो सीमित मात्रा में फल मंडी तक पहुंचाते हैं. दूसरी ओर, जामुन की औषधीय गुणों के कारण इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर डायबिटीज और पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी होने के कारण लोग इसे औषधीय फल के रूप में खरीद रहे हैं. अखाड़ापर के निवासी निवास कुमार का कहना है कि जामुन के पेड़ काफी नाजुक होते हैं और हल्की हवा में टूट जाते हैं. इसी कारण लोग इन्हें अपने घरों या खेतों में लगाने से परहेज करते हैं. इससे इसकी कृषि स्तर पर खेती नहीं हो पा रही, और आपूर्ति पर असर पड़ रहा है. स्थानीय किसानों के अनुसार, देसी फल जैसे जामुन, फनेला और कोवा केवल 10 से 15 दिनों तक ही बाजार में टिकते हैं. इस वजह से इनकी कीमतें पूरी तरह मांग और आपूर्ति पर निर्भर होती हैं. जब खरीदार अधिक होते हैं, तो व्यापारी मनमाने दाम वसूलते हैं, जबकि ग्राहक कम होने पर यही फल शाम के समय सस्ते में बेच कर शहर से घर लौट जाते हैं. यह देसी फल आस-पास के लोग शहर के चौक-चौराहों पर बेचते देखे जा रहे हैं. अम्बेर चौक, रामंच्रदुपर, सोहसराय, 17 नंबर, नई सराय, भरावपर, एतवारी बजार, स्टेशन रोड, खंदकपर, रहुई रोड, किसान कॉलेज, इतासंग रोड आदि में कोवा बेचते देखे जा रहे हैं, जो अस्थावां, नूरसराय, रहुई आदि क्षेत्रों से बेचने के लिए सुबह टोटो से अपना उत्पाद लेकर आते हैं. इसे शहरवासी खुब पंसद कर रहे हैं. खासकर महिला और बच्चे इसे रुचि से खा रहे हैं. इस गर्मी में बिहारशरीफ के बाजारों में देसी फलों की अच्छी मांग बनी हुई है, लेकिन जामुन की कीमत ने आम उपभोक्ताओं की जेब पर असर डाला है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थानीय स्तर पर जामुन की खेती को बढ़ावा दिया जाए, तो आने वाले वर्षों में इसकी उपलब्धता बढ़ सकती है और कीमतें भी नियंत्रण में आ सकती हैं.

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