बिहारशरीफ. इस बार जिले में चुनावी माहौल ने त्योहारों की रौनक पर गहरा असर डाला है. पावापुरी महोत्सव से लेकर दीपावली तक के आयोजन पहले जैसी चमक दिखाने में नाकाम रहे. आचार संहिता और चुनावी व्यस्तताओं के चलते लोग बड़े पैमाने पर महोत्सवों में शिरकत से कतरा रहे हैं. चुनाव ड्यूटी के कारण अधिकांश सरकारी कर्मचारी अपने परिवारों से दूर हैं, जिससे घर-घर में त्योहारी माहौल फीका पड़ गया है. मौसम में अचानक आई गिरावट ने हालात को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है. स्कूली छात्राएं कोमल भारती और कुमकुम भारती ने अपनी व्यथा साझा करते हुए बतायी कि उसके पिता बिहार सरकार में कार्यरत हैं. चुनाव ड्यूटी के कारण उन्हें छुट्टी नहीं मिली, जिसकी वजह से वह दादी घर नहीं जा पाईं और दीपावली का जश्न पूरा नहीं हो पाया. स्वास्थ्य विभाग शिशुकांत और पुलिस प्रशासन के कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें लगातार दो महीने से वेतन नहीं मिला है. इस वजह से उन्हें दीपावली और आगामी छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहार अत्यंत संयम से मनाने पड़ रहे हैं. पिछले पांच दिनों से तापमान में अचानक आई गिरावट ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है। ठंड के कारण बच्चे और बुजुर्ग विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं. चुनावी प्रक्रिया ने न केवल राजनीतिक गतिविधियों को प्रभावित किया है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक उत्सवों पर भी इसकी छाप साफ दिख रही है. पावापुरी महोत्सव और दीपावली जैसी सदियों पुरानी परंपराएं इस बार चुनावी दबाव, ड्यूटी की बाध्यताओं और आर्थिक चिंताओं के बीच दब सी गई हैं. जिले में इस बार चुनावी उत्साह और सांस्कृतिक उत्सवों के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.
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