बिहारशरीफ. नालंदा जिले के छबीलापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत लोदीपुर गांव में उस समय सनसनी फैल गयी जब गांव के पंचायत सरकार भवन के महिला शौचालय से एक अज्ञात शव बरामद किया गया. शव की पहचान मिंटू कुमार उर्फ मिठू यादव (35 वर्ष), पिता परशुराम यादव के रूप में हुई है, जो बीते 10 दिनों से लापता थ. मिंटू 2021 के बहुचर्चित पांच हत्याकांड का इकलौता चश्मदीद गवाह था और उसकी सुरक्षा में पुलिस ने तीन होम गार्ड्स की ड्यूटी लगा रखी थी. गायब होने की जानकारी पहले दी गयी थी : मृतक के भतीजे रोहित कुमार के अनुसार, मिंटू 30 अप्रैल से लापता थे. परिवार ने 2 मई को छबीलापुर थाने में गुमशुदगी की सूचना दी थी, जबकि छह मई को गुमशुदगी की विधिवत एफआईआर दर्ज की गयी थी. 10 मई को बदबू फैलने पर पंचायत सरकार भवन के शौचालय की जांच की गयी, जहां से उसका शव लटका हुआ मिला. शव पूरी तरह डीकंपोज हो चुका था. सुनियोजित हत्या की आशंका, पुलिस कर रही जांच : परिजनों का आरोप है कि यह हत्या सुनियोजित ढंग से की गयी है. उन्होंने कहा कि चार अगस्त 2021 को 50 बीघा जमीन को लेकर हुए खूनी संघर्ष में मिंटू चश्मदीद था और उसी केस में 30 अप्रैल को जुवेनाइल कोर्ट में उसकी गवाही होनी थी, जो टल गयी थी. इस बीच मिंटू की हत्या कर दी गयी. छबीलापुर थानाध्यक्ष मुरली आजाद ने बताया कि शव की जानकारी एक अज्ञात कॉल से मिली. पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और वरीय अधिकारियों को सूचित किया. एफएसएल और डॉग स्क्वायड टीम को घटनास्थल पर बुलाया गया. शव को पोस्टमार्टम के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल भेजा गया है. 2021 का खूनी संघर्ष फिर चर्चा में : गौरतलब है कि 4 अगस्त 2021 को लोदीपुर गांव में 50 बीघा जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें धीरेंद्र यादव, यद्दु यादव, महेश यादव, पिंटू यादव और शिवपाल यादव की गोली लगने से मौत हो गई थी. वहीं मिंटू सहित तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. मिंटू के सिर में गोली लगी थी, लेकिन वह बाल-बाल बच गया और इस मामले में मुख्य गवाह बना. इस घटना के बाद मिंटू को खतरा देखते हुए पुलिस ने उसकी सुरक्षा में तीन होमगार्ड की तैनाती की थी, जो 24 घंटे उसके घर के पास मुस्तैद रहते थे. इसके बावजूद मिंटू की हत्या ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं. न्यायालय से मिली थी सख्त सजा : इस हत्याकांड में बिहारशरीफ व्यवहार न्यायालय ने 21 अक्टूबर 2024 को 15 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. इनमें भोला यादव, चिंता देवी, महेंद्र यादव सहित कई नामी आरोपित शामिल थे. वहीं, दो नाबालिगों के विरुद्ध मामला किशोर न्याय परिषद में विचाराधीन है. स्थानीय प्रशासन पर उठे सवाल आश्चर्य की बात यह है कि पंचायत सरकार भवन रोज खुलता था और वहां नियमित गार्ड की मौजूदगी रहती थी, फिर भी 10 दिनों तक शव अंदर लटका रहा और किसी को भनक नहीं लगी. इससे स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया है. पुलिस बोली, जल्द होगा खुलासा पुलिस सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच कर रही है. प्रथम दृष्टया यह हत्या प्रतीत हो रही है, जिसे आत्महत्या का रूप देने का प्रयास किया गया है. वरीय अधिकारियों ने भी घटनास्थल का मुआयना किया है और जांच तेज कर दी गयी है. पुलिस ने दावा किया है कि जल्द ही मामले का खुलासा किया जायेगा.
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