राजगीर. स्वच्छ हवा, प्राकृतिक हरियाली और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध पर्यटक शहर राजगीर इन दिनों वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि सोमवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 207 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में माना जाता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि सामान्य स्थिति में एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से 100 के बीच होना चाहिए. 100 से 200 के बीच प्रदूषण मध्यम माना जाता है, लेकिन जैसे ही सूचकांक 200 के पार जाता है, सांस, आंख और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ने लगता है. पिछले लगभग एक महीने से राजगीर में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार 100 से ऊपर बना हुआ था. जैसे-जैसे ठंड बढ़ी, हवा की गुणवत्ता और बिगड़ती गयी. विशेषज्ञ डॉ उमेश चन्द्र के अनुसार बढ़ते प्रदूषण के चलते सर्दी-खांसी, गले में खराश, एलर्जी, आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई की शिकायतें बढ़ गई हैं. बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं तथा अस्थमा, फेफड़ा व हृदय रोगी इस मौसम में सबसे अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. अस्पतालों में इन दिनों ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी आ जाती है, जिनमें सांस की तकलीफ या आंखों में जलन प्रमुख लक्षण हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए भी वर्तमान प्रदूषित वातावरण जोखिमभरा बताया जा रहा है, क्योंकि इससे श्वसन संक्रमण और अन्य दिक्कतें बढ़ने की आशंका रहती है. विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि बुजुर्ग व बच्चे यथासंभव घर के अंदर रहें और बाहरी गतिविधियों को सीमित करें. घर की खिड़कियां व दरवाजे बंद रखें और यदि बाहर निकलना आवश्यक हो तो अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क का प्रयोग करें. फेफड़े व दिल के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने और डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाइयां समय पर लेने की सलाह दी जा रही है. राजगीर में बढ़ते प्रदूषण के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे शहर में बेतहाशा बढ़ते वाहन, टेम्पों, ट्रैक्टर और भारी गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, निर्माण स्थलों से उड़ती धूल, सड़कों पर फैला गंदगी, सड़कों पर फैला बिल्डिंग मैटेरियल तथा नेशनल हाईवे पर लगातार गुजरते भारी वाहन. ठंड और धुंध के कारण प्रदूषक कण हवा में लंबे समय तक टिके रहते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है. पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो राजगीर की वायु गुणवत्ता आने वाले दिनों में और भी अधिक चिंताजनक हो सकती है.
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