राजगीर. शहर के अशोक नगर के अरुणोदय विद्यालय में एक दर्दनाक घटना ने पूरे राजगीर को स्तब्ध कर दिया है. एलकेजी के छात्र दिलखुश कुमार (आठ वर्ष) की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई. मृतक गया जिले के अतरी थाना क्षेत्र के चरबारा निवासी स्वर्गीय चंदेश्वर यादव का पुत्र था. विद्यालय संचालक अजय कुमार सिंह के अनुसार दिलखुश ने शनिवार और रविवार की रात्रि लगभग दो बजे विद्यालय की पांचवीं मंजिल से छलांग लगाया. उसके बाद उसे गंभीर अवस्था में अनुमंडलीय अस्पताल और फिर पावापुरी मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई है. इस घटना को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस और परिजनों के अनुसार जिस स्थान पर बच्चे के गिरने की बात कही जा रही है, वहां गिरने के कोई निशान मौजूद नहीं हैं. मृतक के हाथ-पांव भी सुरक्षित पाए गए, जिससे संचालक के दावे पर संदेह गहरा गया है. मृतक के दादा अनिल प्रसाद यादव ने सीधे विद्यालय प्रबंधन पर हत्या का आरोप लगाया है. उनके द्वारा राजगीर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है. उनका कहना है कि यदि पांच मंजिला इमारत से बच्चा गिरा होता तो हाथ-पांव टूटने के साथ जमीन पर स्पष्ट निशान होते. जबकि घटनास्थल पर ऐसी कोई निशान मौजूद नहीं मिली है. उन्होंने आरोप लगाया कि विद्यालय प्रबंधन ने बच्चे की हत्या कर साक्ष्यों को छिपाने की कोशिश कर रही है. मृतक के कान से खून बहने और शरीर पर खरोंच के निशान मिलने से भी परिजनों का संदेह और गहरा गया है. घटना की जानकारी मिलते ही डीएसपी सुनील कुमार सिंह, विधि व्यवस्था डीएसपी रामदुलार प्रसाद, राजगीर थानाध्यक्ष रमन कुमार, सिलाव थानाध्यक्ष मो. इरफान और छबिलापुर थानाध्यक्ष मुरली मनोहर आजाद ने घटना स्थल का मुआयना किया है. पुलिस ने विद्यालय संचालक अजय कुमार सिंह और उनके पुत्र गुंजन कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. डीएसपी ने बताया कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा घटना की नहीं, बल्कि मृत्यु होने के बाद पुलिस को जानकारी दी गयी है. जबकि परिजनों को रात 2:16 बजे सूचना दी गयी थी. उन्होंने बताया कि जांच में कई विसंगतियां पाई जा रही हैं. डॉग स्क्वॉड को भी बुलाया गया है लेकिन कोई सुराग नहीं मिल सका है. अब एफएसएल टीम को बुलाने की प्रक्रिया चल रही है. पुलिस हत्या और आत्महत्या दोनों पहलुओं पर जांच कर रही है. घटना की जानकारी मिलते ही अभिभावक विद्यालय पहुंच रहे हैं. वे अपने बच्चों को तत्काल घर ले जा रहे हैं. दूसरी ओर, मृतक की माता ने अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए जितिया व्रत रखा था. व्रत के दौरान ही पुत्र की मृत्यु से पूरा परिवार सदमे में है. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. घर और गांव में मातम छाया हुआ है. इस घटना ने न सिर्फ विद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े दिए हैं, बल्कि अभिभावकों के मन में भी गहरी चिंता उत्पन्न कर दी है. अब पुलिस की जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि मासूम की मौत आत्महत्या थी या किसी सुनियोजित षड्यंत्र का परिणाम.
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