शेखपुरा के सांसद और विधायक मामलों के विशेष न्यायाधीश रोहित कुमार ने 23 वर्ष पुराने आपराधिक मामले में शेखपुरा के राजद विधायक विजय सम्राट सहित 13 लोगों को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया. 2002 के मामले में लंबे समय से दो दर्जन से ज्यादा अभियुक्त न्यायालय में मामले का सामना कर रहे थे. इसमें से कई लोगों की मृत्यु भी हो गई है. इस संबंध में जानकारी देते हुए अधिवक्ता बनारसी प्रसाद यादव ने बताया कि शेखपुरा के चर्चित टाटी पुल नरसंहार के मामले में जेल में बंद शेखपुरा के तत्कालीन पूर्व विधायक स्वर्गीय संजय सिंह उर्फ मुन्ना सिंह को स्थानीय जेल से बक्सर जेल स्थानांतरित किया जा रहा था. जिसके विरोध में इन सभी लोगों पर आरोप है कि 19 मई 2002 को सवेरे 6 बजे जेल स्थानांतरित करने के प्रशासन के प्रयास को असफल करने के उद्देश्य से जेल पर हमला बोल दिया. लोगों ने जेल गेट तोड़ने का प्रयास किया. इस कारण तत्कालीन विधायक की तबीयत भी खराब हो गई थी. जिसे बाद में डॉक्टर की सलाह से उन्हें अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान अस्पताल ले जाने के दौरान जेल गेट खोलने पर इन सभी ने वहां उपद्रव मचाते हुए जेल में घुसने का प्रयास किया था. इन लोगों ने बाद में भड़काऊ नारा लगाते हुए शेखपुरा बाजार की ओर जुलूस निकाला. इस मामले में विधायक विजय सम्राट के अलावा उनके पिता गंगा कुमार यादव, नागमणि राय, शाहनवाज खान, विजय सिंह, परशुराम सिंह, विपिन सिंह, गोपाल सिंह, राजेश सिंह, शैलेंद्र सिंह, मणिकांत सिंह, राजनंदन सिंह आदि को साक्ष्य के अभाव में रिहा किया गया. शेखपुरा थाना में 167 /2002 संख्या में दर्ज प्राथमिकी भारतीय दंड विधान की धारा 143, 147, 149, 448, 456, 427, 379 और 188 के तहत दर्ज किया गया था. पुलिस द्वारा अनुसंधान समाप्त कर आरोप पत्र समर्पित करने के बाद लंबे समय तक यह मामला न्यायालय में चला. पूरी न्यायिक प्रक्रिया पूरा करते हुए शुक्रवार को इस मामले का पटाक्षेप हुआ और सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में मुकदमा से राहत प्राप्त हुई.
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