राजगीर. पर्यटन और आध्यात्म की धरती राजगीर में आयोजित तीन दिवसीय टूर ट्रेवल्स एंड टूर ऑपरेटर्स इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस शुक्रवार को संपन्न हो गया. सम्मेलन में शामिल देश-विदेश के प्रतिनिधियों ने महात्मा बुद्ध के उपदेश स्थल गृद्धकूट पहाड़ी का भ्रमण किया. भगवान बुद्ध के अतिप्रिय साधना स्थल का दर्शन कर टूर ऑपरेटर विशेष उत्साहित दिखे. सभी प्रतिनिधियों ने पर्वत पर पूजा-अर्चना कर विश्व शांति और समस्त जीव जगत के कल्याण की कामना की. एबीटीओ के महासचिव डॉ. कौलेश कुमार ने राजगीर को अद्भुत आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता वाला स्थल बताते हुए कहा कि यहां का इतिहास, पौराणिकता और अध्यात्म विश्व में अद्वितीय है. उन्होंने कहा कि पांच पहाड़ियों से घिरा यह नगर विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के लिए आस्था की केंद्रस्थली है. इसी क्रम में टूर ऑपरेटरों ने गृद्धकूट पर्वत पर सफाई अभियान भी चलाया तथा पर्यटकों को परिसर को स्वच्छ रखने की अपील की. कांफ्रेंस में भारत, नेपाल, लाओस, कंबोडिया, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका और वियतनाम सहित कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए. इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों ने भी अपनी सहभागिता दर्ज कराई. समापन सत्र में पर्यटन मंत्रालय के प्रतिनिधि अजित लाल ने निधि पोर्टल के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से होटल, टूर ऑपरेटर तथा ट्रैवल एजेंसियां भारत सरकार की संबद्धता लेकर अपने व्यवसाय को औपचारिक रूप से संचालित कर सकते हैं. राजगीर, नालंदा और पावापुरी के स्टेकहोल्डर्स के लिए पोर्टल को सक्रिय करते हुए पर्यटन क्षेत्र में रोजगार और विकास की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया. समापन समारोह में आयोजित प्रश्नोत्तरी सत्र में राजगीर सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों के संरक्षण और अस्तित्व बचाने पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई. इसके अलावा कृष्ण रथ पहिया निशान और अन्य लुप्तप्राय पर्यटन स्थलों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ. कौलेश कुमार ने कहा कि देशी-विदेशी प्रतिनिधि राजगीर, नालंदा और पावापुरी की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक स्मृतियों को संजोए हुए यहां से प्रस्थान कर रहे हैं. तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ने पर्यटन जगत में नई ऊर्जा का संचार किया है.
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