राजगीर.नालंदा विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय परिसर में केन्द्रीय विद्यालय संचालन के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया है. विश्वविद्यालय द्वारा भवन और आवश्यक उपस्कर उपलब्ध कराने की सहमति दी है. लेकिन गतिरोध पांच एकड़ जमीन की है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अधिग्रहित भूमि में से विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध कराना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसी कारण पांच एकड़ जमीन की लेन-देन प्रक्रिया संभव नहीं है. इस आशय की लिखित जानकारी उच्चाधिकारियों को भी भेजी जा चुकी है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. रमेश प्रताप सिंह परिहार ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में पहले से उपलब्ध भवनों को केन्द्रीय विद्यालय संगठन को तत्काल उपयोग हेतु दिया जा सकता है, ताकि विद्यालय का संचालन आरंभ हो सके. साथ ही उन्होंने केन्द्रीय विद्यालय संगठन को सुझाव दिया है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन से विद्यालय के लिए उपयुक्त भूमि की अधियाचना सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षा के विकास और क्षेत्र की आवश्यकताओं को समझते हुए सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है. फिलहाल अब सबकी निगाहें जिला प्रशासन और राज्य सरकार की पहल पर टिकी हुई हैं, ताकि लंबे समय से लंबित इस योजना को धरातल पर उतारा जा सके. प्रकृति के अध्यक्ष नवेन्दू झा, मुखिया कुमारी सविता, मुखिया प्रतिनिधि पंकज कुमार, रोटरी क्लब ऑफ राजगीर के पूर्व अध्यक्ष दिनेश प्रसाद, नालंदा पेट्रोलियम एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह, वार्ड पार्षद डाॅ अनिल कुमार, वार्ड पार्षद महेन्द्र यादव और पूर्व प्रखण्ड प्रमुख सुधीर कुमार पटेल ने नालंदा विश्वविद्यालय के बाजू में हेलीपैड के लिए अधिग्रहण की गयी जमीन में से केन्द्रीय विद्यालय भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने का सुझाव जिला प्रशासन को दिया है.
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