बिहारशरीफ. हरनौत केवीके के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को नई दिल्ली से वर्चुअल संवाद किया. वहीं केवीके के गृह वैज्ञानिक सह प्रभारी डॉ ज्योति सिन्हा ने बताया की केंद्रीय मंत्री चौहान की पहल पर आयोजित इस अभिनव संवाद कार्यक्रम में केवीके के चल रहे प्रयासों, उनकी भूमिका और भावी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को लेकर व्यापक चर्चा हुई. मंत्री श्री सिंह ने केवीके से किसान उन्मुख प्रयासों में तेजी लाने की बात कही, साथ ही कहा कि खेती-किसानी की उन्नति में केवीके सशक्त माध्यम के रूप में भूमिका निभाएं. मंत्री ने कहा, केवीके कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं. खरीफ की बुआई से पहले केवीके और आईसीएआर, राज्य सरकारों के साथ मिलकर किसान जागरूकता अभियान चलाएं. इस दौरान उन्होंने प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और किसानों के हितों के मद्देनजर उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर दिया. इनमें से वैज्ञानिकों ने केवीके की उपलब्धियां बताई, वहीं अपने सुझाव भी दिए. आईसीएआर-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोधपुर (राजस्थान), अटारी हैदराबाद (आंध्र प्रदेश), अटारी पटना (बिहार), अटारी जबलपुर (मध्य प्रदेश) के अलावा मंडी (हिमाचल प्रदेश), नंदुरबार (महाराष्ट्र), खुर्दा (ओडिशा), मोरीगांव (असम) और लक्षद्वीप के केवीके प्रमुखों ने अपने-अपने क्षेत्र विशेष के अनुसार अपने कामकाज, उपलब्धियों और भावी कार्य योजनाओं के बारे में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह को जानकारी दी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट और उप महानिदेशक (प्रसार) डॉ. राजबीर सिंह ने प्रारंभ में केवीके के संबंध में रूपरेखा बताई. केंद्रीय मंत्री चौहान ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अभियान स्वरूप कार्य करने की आवश्यकता है. कृषि व्यापक क्षेत्र है. प्रत्यक्ष रूप से लगभग 45 फीसदी आबादी कृषि से जुड़ी है और हमारी जीडीपी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा कृषि क्षेत्र से ही आता है, इसलिए इस व्यापक भूमिका को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए हमें लगातार प्रभावशाली प्रयास करने होंगे. उन्होंने किसानों के क्षमता निर्माण प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अच्छे प्रशिक्षण और जागरूकता के माध्यम से हम किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकते है. किसानों को मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उवर्रक के संतुलित इस्तेमाल की मात्रा के अनुसार उचित एडवाइजरी देते हुए खेती करवाने की दिशा में आगे काम करने के लिए कहा. कृषि मंत्री श्री चौहान ने कृषि के लिए 6 सूत्रीय रणनीति, जिसमें उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, फसलों के ठीक दाम, नुकसान की भरपाई, खेती का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती शामिल है पर भी मार्गदर्शन दिया.उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती में हमें उच्च मापदंड स्थापित करके दिखाना है. खाद्यान्न उत्पादन के लिए बेहतर बीजों, नए शोध, नई तकनीकों के प्रयोग पर बल दिया और इसी क्रम में और अधिक मॉडल फार्म बनाने और नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से भी किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रयास करने को कहा. इस दौरान मृदा विभाग के वैज्ञानिक डॉ यूएन उमेश , पशु एवं चिकित्सा विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. विद्या शंकर सिन्हा समेत अन्य मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है