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इंजीनियरिंग का चमत्कार था बिहारशरीफ का नवरत्न महल, अंग्रेजी शासन में सर्किट हाउस के रूप में हुआ था इस्तेमाल

Bihar News: बिहारशरीफ के मोगलकुआं स्थित नवरत्न महल जो कि नालंदा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल रत्न है. लगभग ढ़ाई सौ साल पुराना यह भवन 18वीं सदी की स्थापत्य कला का खूबसूरत नमूना है, जो अपने समय का एक चमत्कार था.

Bihar News: बिहारशरीफ के मोगलकुआं स्थित नवरत्न महल जो कि नालंदा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल रत्न है. लगभग ढ़ाई सौ साल पुराना यह भवन 18वीं सदी की स्थापत्य कला का खूबसूरत नमूना है, जो अपने समय का एक चमत्कार था. मोटी दीवारों और चार मजबूत स्तंभों पर टिकी इसकी छत की डिजाइन इस तरह की गई थी कि गर्मी हो या सर्दी, इसके अंदर का तापमान हमेशा संतुलित रहता था. लेकिन देखरेख के अभाव में यह ऐतिहासिक इमारत धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

राजा-महाराजाओं के लिए हुआ था निर्माण

इस नवरत्न महल का निर्माण 18वीं सदी में हुआ था. उस वक्त इसे राजा-महाराजाओं के लिए बनाया गया था. अंग्रेजी शासन के दौरान इसका उपयोग सर्किट हाउस के रूप में किया गया. इसकी भव्यता और सामरिक महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके निकट से छोटी रेलवे लाइन गुजरती थी. यह उस समय व्यापार और आवागमन का एक महत्वपूर्ण माध्यम थी.

अंदर थी अनोखी कुआं

महल के बीच में बना स्टेप वेल (बौली कुआं) न सिर्फ पानी की आपूर्ति करता था, बल्कि इसकी अनूठी बनावट इसे गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म पानी रखने में मदद करती थी. इस बौली कुआं के नाम पर ही आसपास के मुहल्ले को मोगलकुआं के नाम से जाना जाने लगा.जानकारी के अनुसार नवरत्न महल उस समय की इंजीनियरिंग का चमत्कार था. इसकी दीवारों और छत की मोटाई इसे प्राकृतिक रूप से वातानुकूलित बनाती थी. यह सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि उस युग की तकनीकी और सांस्कृतिक समझ का भी प्रतीक था.

समय के साथ बदला महल का इस्तेमाल

समय के साथ-साथ इस नवरत्न महल का उपयोग भी बदलता गया. अंग्रेजों के बाद यहां बुनकरों के लिए एक स्कूल खोला गया और बाद में बच्चों की पढ़ाई के लिए इसका उपयोग हुआ. लेकिन साल 2016 में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदारों की लापरवाही ने इसके पूर्वी-दक्षिणी हिस्से को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. आज इस ऐतिहासिक धरोहर की दीवारें दरक रही हैं. इसके कमरे और बौली धीरे-धीरे धूल-मिट्टी में दफन हो रहे हैं.

बन सकता है पर्यटन मानचित्र का नया अध्याय

नवरत्न महल को अगर संरक्षित किया जाए तो यह नालंदा के पर्यटन मानचित्र पर एक नया अध्याय जोड़ सकता है. इसे एक सांस्कृतिक केंद्र या संग्रहालय के रूप में विकसित कर स्थानीय कला, शिल्प और इतिहास को प्रदर्शित किया जा सकता है. इसके संरक्षण के लिए पहल करने की आवश्यकता है. इसके लिए स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह पुरातत्व विभाग के साथ मिलकर एक कार्ययोजना बनाए. इसके लिए निम्नलिखित कदम शामिल हो सकते हैं.

  • क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत करना और मूल डिज़ाइन को बनाए रखना.
  • महल को पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित करना.
  • इसे कला, संगीत या स्थानीय शिल्प प्रदर्शनी के लिए इस्तेमाल करना.
  • स्थानीय समुदाय को इसके महत्व के बारे में जानकारी देना.

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अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखना जरूरी

नवरत्न महल नालंदा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक है. यह न सिर्फ एक भवन है, बल्कि उस युग की अनोखी कहानी है, जब स्थापत्य और तकनीक का संगम एक अनूठा चमत्कार रचता था. अब इस धरोहर को बचाने का समय है, ताकि इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके.

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Rani Thakur
Rani Thakur
रानी ठाकुर पत्रकारिता के क्षेत्र में साल 2011 से सक्रिय हैं. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में लाइफस्टाइल के लिए काम कर रहीं हैं.

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