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बौद्ध भिक्षुओं का दल पहुंचा राजगीर

भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि बोधगया से जन्मभूमि नेपाल के लुंबिनी तक की धम्म पदयात्रा में शामिल सौ से अधिक बौद्ध भिक्षुओं का दल बुधवार को राजगीर पहुंचा.

राजगीर. भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि बोधगया से जन्मभूमि नेपाल के लुंबिनी तक की धम्म पदयात्रा में शामिल सौ से अधिक बौद्ध भिक्षुओं का दल बुधवार को राजगीर पहुंचा. यहां उनके द्वारा भगवान बुद्ध के प्रिय स्थल गृद्धकूट पहाड़ी और वैभारगिरि पहाड़ी पर स्थित सप्तर्णि गुफा के दर्शन – पूजा अर्चना की गयी. इस बौद्ध भिक्षुओं के दल में भारतीय बौद्ध भिक्षुओं सहित थाईलैंड के 90 बौद्ध भिक्षुओं भी शामिल हैं. थाईलैंड बौद्ध दल का नेतृत्व थाईलैंड के बौद्ध धर्मगुरु भिक्षु अचान तोन, तो भारतीय बौद्ध दल का नेतृत्व महाराष्ट्र के नागपुर के तदोवा फाॅरेस्ट चंद्रपुर में तपोवन बुद्ध विहार के भंते संघ ज्योति तथा धम्म विचयो कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह धम्म पदयात्रा बोधगया से नेपाल के लुंबिनी तक के लिए निकली है। 20 फरवरी को यह पदयात्रा बोधगया से निकला है. इस धम्म पदयात्रा का समापन 26 मार्च को भगवान बुद्ध की जन्मभूमि लुंबिनी में होगा. उन्होंने आगे बताया कि बौद्ध सर्किट बोधगया, गुरुपा, जेठियन होते हुए बुधवार को राजगीर पहुंचे हैं. राजगीर के बाद नालन्दा, वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, लौरिया, गोरखपुर होते हुए लुंबिनी पहुंचेंगे. उन्होंने बताया कि तथागत बुद्ध के जन्म से लेकर महापरिनिर्वाण तक के जीवन के मार्ग पर बौद्ध अनुयायी धम्म पदयात्रा पर निकले हैं. राजगीर के बौद्ध स्थलों के महत्व को बताते हुए कहा कि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पूर्व और ज्ञान प्राप्ति के बाद भी राजगीर आए थे। भगवान बुद्ध द्वारा तपस्थली गृद्धकूट पर तप साधना और जनकल्याण के लिए उपदेश देते थे. बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए राजगीर का कण-कण पवित्र और पूज्यनीय- वंदनीय है.

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