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ढाई आखर प्रेम पदयात्रा का बिहार पड़ाव पटना में समाप्त, नसीरुद्दीन ने कहा- आज के समय में सच बोलना ही सत्याग्रह

7 अक्टूबर को पटना से प्रारंभ हुई ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा का समापन 14 अक्टूबर का सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हो गया. इस दौरान यह पदयात्रा मुजफ्फरपुर और चंपारण के गांवों में भी गई. कल से पदयात्रा पंजाब में शुरू होगी. महात्मा गांधी के शहादत दिवस 30 जनवरी तक निरंतर यह यात्रा चलती रहेगी.

ढाई आखर प्रेम के राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था की पदयात्रा का बिहार पड़ाव शनिवार 14 अक्टूबर को पटना में समाप्त हो गया. अब यह यात्रा कल से पंजाब में शुरू होगी. इस यात्रा के समापन समारोह को संबोधित करते हुए लखनऊ से आए वरिष्ठ पत्रकार नसीरुद्दीन ने कहा कि आज हर देश को एक बार फिर से चंपारण और गांधी की जरूरत है. चाहे वो हमारा देश हो या फिलीस्तीन, इस्राइल, कनाडा. सबको गांधी के सत्याग्रह की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आज हिंसा, नफरत और युद्ध की कोई जरूरत नहीं है. बच्चे पढ़ना चाहते हैं. युवा को रोजगार की गारंटी चाहिए और सब को सत्ता, समाज और विकास में हिस्सेदारी चाहिए. इसलिए आदमी से आदमी का प्रेम करना और सच को निर्भीकता से कहना ही सत्याग्रह है.

30 जनवरी तक निरंतर चलेगी यात्रा

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इप्टा के राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र ने कहा कि प्रेम, बंधुत्व, समानता, न्याय और मानवता के संदेश लेकर पूरे देश में कलाकार, साहित्यकार, कवि, लेखक, नाटक करने वाले, गीत गाने वाले, हंसने और हंसाने वाले, सबकी भागीदारी में विश्वास रखने वाले इसी प्रकार से पदयात्रा कर रहे हैं. ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था 28 सितंबर को अलवर, राजस्थान से शुरू हुआ और 30 जनवरी को दिल्ली में समाप्त होगा. 22 राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों में सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व के इलाके में यह पदयात्रा की जा रही है. इस यात्रा का बिहार पड़ाव 7 अक्टूबर से प्रारंभ होकर आज समाप्त हो रहा है. कल से पदयात्रा पंजाब में शुरू होगी. महात्मा गांधी के शहादत दिवस 30 जनवरी तक निरंतर यह यात्रा चलती रहेगी. प्रेम का संदेश पूरे देश में फैलता रहेगा.

महिलाओं का करें सम्मान : शरद कुमारी

सामाजिक संस्था एक्शन एड की प्रतिनिधि शरद कुमारी ने कहा कि प्रेम और बंधुता सबसे बढ़ी वाहक हैं. हम प्रेम करते हैं तो प्रेम बढ़ता है. लेकिन जो कुछ मणिपुर में हुआ और हो रहा है लोग उससे विचलित हैं. उन्होंने लोगों से घर, परिवार और समाज की महिलाओं का सम्मान करने की अपील की.

प्रेम का संदेश देने का प्रयास है पदयात्रा

बिहार इप्टा के महासचिव फीरोज अशरफ खां ने कहा कि ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था का बिहार पड़ाव महात्मा गांधी के पदचिह्न पर चलकर प्रेम का संदेश देने का प्रयास है. चम्पारण सत्याग्रह ने देश को अंग्रेजी गुलामी से मुक्ति की राह खोली थी और हम इस ढाई आखर प्रेम पदयात्रा से नफ़रत, हिंसा और घृणा से मुक्ति का आह्वान करते हैं. इस पदयात्रा में हम बांकीपुर जंक्शन (पटना जंक्शन) से मुजफ्फरपुर में बापू कूप (लंगट सिंह कॉलेज) पहुंचे और उसके बाद सात दिनों तक पूर्वी चम्पारण के गांव गांव में पदयात्रा घूमी. प्रेम के संदेश को जनगीत, नाटक और नृत्य में प्रस्तुत किया.

आदमी से आदमी को जोड़ने की यात्रा

ढाई आखर प्रेम पदयात्रा के स्थानीय संयोजक अमर भाई ने कहा कि यह पदयात्रा आदमी से आदमी को जोड़ने की यात्रा है. हर पड़ाव, हर चौराहे पर समुदाय के पदयात्रियों ने खाना खाया, पानी पिया और आराम किए. गांव की महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने पदयात्रियों से मिलकर इसे सफल बनाया. इस पदयात्रा की सफलता का सूत्र यही है कि सारे रास्तों में हम बापू के जन बनाते गए और लोगों को जोड़ते गए हैं.

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सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ पदयात्रा का समापन

वहीं इससे पहले ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था के बिहार पड़ाव समापन कार्यक्रम की शुरुआत जनगीत से हुई. पियूष सिंह के नेतृत्व में रघुपति राघव राजा राम की प्रस्तुति की गई. एस एस हिमांशु ने तू खुद को बदल, राजेंद्र प्रसाद राय ने खदिया फेन के ना का गायन किया. लक्ष्मी यादव ने बढ़े चलो नौजवान, कैसे जइबे है सजानिया की प्रस्तुति की. मधुबनी और भागलपुर इप्टा के कलाकारों ने नृत्य की प्रस्तुति की. रायपुर (छत्तीसगढ़) से आए निसार और देवराज की जोड़ी ने गम्मत शैली में नाटक की प्रस्तुति की. राजन ने भगत सिंह के अंतिम पत्र का पाठ किया. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन ढाई आखर प्रेम गीत से हुई.

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ये रहे मौजूद

इस मौके पर ब्रजकिशोर सिंह (सचिव, गांधी संग्रहालय), डा० परवेज (अध्यक्ष, जिला शांति समिति), श्रीमती शशिकला (पूर्व प्राचार्य, जिला स्कूल), ई० गप्पू राय, बरकत खां, मुमताज़ आलम, गुलरेज शहजाद (पूर्व पार्षद), पारसनाथ (अवकाश प्राप्त शिक्षक), विनय कुमार सिंह (सह संयोजक, आयोजन समिति, ढाई आखर प्रेम), कपिलेश्वर, विनोद कुमार, इंद्रभूषण रमन बमबम, चांदना झा आदि ने भी भागीदारी की. धन्यवाद ज्ञापन सह संयोजक मंकेश्वर पाण्डेय ने किया और गांधी स्मृति संग्रहालय और मोतिहारी के आवाम को आभार व्यक्त किया.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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