Bihar Industrial Park: बिहार अब केवल खेती-किसानी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नीतीश सरकार ने राज्य को उद्योगों का हब बनाने के लिए एक बड़ा ‘लैंड बैंक’ गेम-प्लान तैयार किया है. बिहार उद्योग विभाग राज्य के सभी 38 जिलों में लगभग 9,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने जा रहा है.
इस महा-योजना का उद्देश्य उन सैकड़ों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को जमीन उपलब्ध कराना है, जो बिहार में निवेश करने के लिए कतार में खड़ी हैं. जमीन की कमी के कारण अब तक निवेश के जो प्रस्ताव ठंडे बस्ते में थे, उन्हें इस फैसले से नई पंख मिलने वाली है.
जमीन की कमी ने रोका निवेश, अब बदलेगी तस्वीर
बिहार में उद्योगों के लिए सिर्फ 25 स्थानों पर करीब 910 एकड़ जमीन ही उपलब्ध है, जबकि वास्तविक जरूरत 7 हजार एकड़ से अधिक की है. इसी वजह से राज्य में अब तक मुश्किल से 40 बड़ी कंपनियों को ही जमीन मिल पाई है. दूसरी ओर 76 से ज्यादा बड़ी कंपनियां बिहार में निवेश के लिए पूरी तरह तैयार बैठी हैं, लेकिन जमीन उपलब्ध न होने के कारण परियोजनाएं अटकी हुई हैं.
मोतीपुर और बिहटा में सबसे ज्यादा जमीन, पटना सदर खाली
उद्योग विभाग के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल सबसे ज्यादा 388.84 एकड़ जमीन मोतीपुर औद्योगिक क्षेत्र में उपलब्ध है. इसके बाद बिहटा में 112.60 एकड़ जमीन है. हैरानी की बात यह है कि पटना सदर के औद्योगिक क्षेत्र में एक भी एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं है, जबकि राजधानी होने के कारण यहां निवेशकों की दिलचस्पी सबसे ज्यादा रहती है.
900 कंपनियों को जमीन देने का लक्ष्य
उद्योग विभाग की योजना के अनुसार नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकसित होने से बड़ी और छोटी मिलाकर करीब 900 कंपनियों को जमीन उपलब्ध कराई जा सकेगी. विभाग ने बताया है कि अब तक 710 कंपनियों को निवेश के लिए प्रथम क्लीयरेंस मिल चुका है. इनमें से 305 इकाइयों को वित्तीय क्लीयरेंस भी दिया जा चुका है. ये कंपनियां बिहार में करीब 3,872 करोड़ रुपये का निवेश कर रही हैं.
फूड प्रोसेसिंग से टेक्सटाइल तक बढ़ेगा उद्योग
बिहार में निवेश करने वाली इन इकाइयों में फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, लेदर, प्लास्टिक, मशीनरी और अन्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं. सरकार का मानना है कि औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने से न सिर्फ निवेश बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
14 जिलों में जमीन सबसे बड़ी चुनौती
उद्योग विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन 14 जिलों में है, जहां फिलहाल उद्योग लगाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है. इनमें लखीसराय, किशनगंज, समस्तीपुर, नवादा, गोपालगंज, मधुबनी, पटना सदर, कैमूर, जमुई, सारण, शिवहर, बांका, अरवल और शेखपुरा शामिल हैं. इन जिलों में अधिकतर जमीन या तो आवासीय है या कृषि उपयोग में है, जबकि कुछ जगहों पर सिर्फ 2 से 5 एकड़ के छोटे-छोटे प्लॉट ही उपलब्ध हैं.
औद्योगिक नक्शे पर नया बिहार
सरकार का दावा है कि 9 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहण के बाद बिहार का औद्योगिक नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा. हर जिले में उद्योगों की मौजूदगी से संतुलित विकास होगा और निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होगा.
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