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Bihar Election 2020: खगड़िया में जदयू और राजद होंगे आमने-सामने, जानें किस परिवार का 8 बार रहा है यहां की सीट पर कब्जा…

राज किशोर सिंह,खगड़िया: राजा टोडरमल के फरकिया(खगड़िया) में अधिकतर सीटों पर जदयू का कब्जा है. आगामी विधानसभा चुनाव में किसकी बादशाहत रहेगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन एक बार फिर चुनावी बिसात बिछने लगी है. जिले की चार सीटों पर कई दावेदार हैं. वर्तमान विधायक के साथ साथ महागठबंधन के संभावित उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतरने को बेताब हैं. जिस तरह राजा टोडरमल के लिए खगड़िया के इलाकों को समझ पाना मुश्किल रहा, उसी प्रकार फरकिया की जनता को समझना प्रत्याशियों के लिए भी मुश्किल से कम नहीं है. जब टोडरमल खगड़िया को फरक नहीं कर सके तो प्रत्याशियों को भी जनता को फरक कर वोट लेना मुश्किल हो जाता है. मालूम हो कि जिले का दियारा इलाका काफी पिछड़ा है. कई नदियों से घिरे रहने के कारण राजा अकबर के नौ रत्नों में से एक टोडरमल भी इस क्षेत्र की जमीन की पैमाइश नहीं कर सके थे. इस कारण खगड़िया को फरकिया कहा जाता है. फरकिया यानी फरक मतलब अलग.

राज किशोर सिंह,खगड़िया: राजा टोडरमल के फरकिया(खगड़िया) में अधिकतर सीटों पर जदयू का कब्जा है. आगामी विधानसभा चुनाव में किसकी बादशाहत रहेगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन एक बार फिर चुनावी बिसात बिछने लगी है. जिले की चार सीटों पर कई दावेदार हैं. वर्तमान विधायक के साथ साथ महागठबंधन के संभावित उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतरने को बेताब हैं. जिस तरह राजा टोडरमल के लिए खगड़िया के इलाकों को समझ पाना मुश्किल रहा, उसी प्रकार फरकिया की जनता को समझना प्रत्याशियों के लिए भी मुश्किल से कम नहीं है. जब टोडरमल खगड़िया को फरक नहीं कर सके तो प्रत्याशियों को भी जनता को फरक कर वोट लेना मुश्किल हो जाता है. मालूम हो कि जिले का दियारा इलाका काफी पिछड़ा है. कई नदियों से घिरे रहने के कारण राजा अकबर के नौ रत्नों में से एक टोडरमल भी इस क्षेत्र की जमीन की पैमाइश नहीं कर सके थे. इस कारण खगड़िया को फरकिया कहा जाता है. फरकिया यानी फरक मतलब अलग.

खगड़िया : सदर विधानसभा सीट पर चुकती गांव का रहा कब्जा

वर्ष 1952 में अस्तित्व में आये खगड़िया विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक बनावट जटिल है. परिसीमन के बाद खगड़िया विधानसभा का भूगोल बदल गया. इस सीट पर चुकती (गांव) परिवार का ही अधिकतर बार कब्जा रहा है. चुकती परिवार से रामशरण यादव ने लगातार तीन बार तो उन्हीं के परिवार की पूनम यादव चार बार विधायक बनीं. एक बार रणवीर यादव भी यहां से विधायक रहे हैं. यह परिवार 8 बार यहां का प्रतिनिधित्व कर चुका है.

परबत्ता : पांच बार विधायक बने आरएन सिंह

परबत्ता विधानसभा सीट पर आरएन सिंह का कब्जा बरकरार है. पांच बार आरएन सिंह विधायक रह चुके हैं. परबत्ता जदयू का गढ़ माना जाता है. परबत्ता विधायक आरएन सिंह 2004 में जदयू, 2005 (फरवरी) में जदयू, 2005(अक्तूबर) में जदयू, 2014 में जदयू, 2015 में जदयू से विधायक बने.

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बेलदौर: पन्नालाल पटेल दो बार बेलदौर से बने विधायक

जदयू के गढ़ बेलदौर विधानसभा से पन्नालाल पटेल लगातार दो बार विधायक बने हैं. पन्नालाल पटेल वर्ष 2010 तथा 2015 में रिकॉड मतों से जीत हासिल किया था. काफी कम बोलने वाले बेलदौर विधायक इस बार चुपचाप मतदाताओं के दम पर परचम लहराने का दावा कर रहे हैं.

अलौली: पहली बार राजद से जीते विधायक चंदन कुमार

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के पैतृक प्रखंड अलौली विधानसभा में वर्ष 2015 में लोजपा के दिग्गज पशुपति कुमार पारस को हराकर राजद से चंदन कुमार विधायक बने थे, लेकिन इस बार कुछ अलग फिजा है. राजद में गुटबाजी तेज है. जिसका फायदा सत्ताधारी गठबंधन उठाने के लिए बेताब है.

विधानसभा का आंकड़ा

विधानसभा क्षेत्र की संख्या-4

प्रखंड की संख्या-7

अनुमंडल की संख्या-2

नगर पर्षद की संख्या-1

नगर पंचायत की संख्या-1

गांव की संख्या-306

पंचायतों की संख्या-129

जिले की आबादी-1685928

मतदाताओं की संख्या

विधानसभा- मतदाताओं की संख्या

अलौली — 239916

खगड़िया—245618

बेलदौर—-2921161

परबत्ता —-294875

अलौली में कब कौन बने विधायक

वर्ष —–विधायक—–पार्टी

1962—मिश्री सदा— कांग्रेस

1967—मिश्री सदा— कांग्रेस

1969—-राम विलास पासवान–संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी

1972—-मिश्री सदा——-कांग्रेस

1977—-पशुपति कुमार पारस—जनता पार्टी

1980—-मिश्री सदा——जनता पार्टी

1985—-पशुपति कुमार पारस-लोकक्रांति दल

1990—–पशुपति कुमार पारस—जनता दल

1995—–पशुपति कुमार पारस—-जनता दल

2000—–पशुपति कुमार पारस– जनता दल(यूनाइटेड)

2005 (फरवरी)—पशुपति कुमार पारस—–लोकजन शक्ति पार्टी

2005 (अक्तूबर)—-पशुपति कुमार पारस—-लोकजन शक्ति पार्टी

2010—-रामचंद्र सदा———-जनता दल(यूनाइटेड)

2015—–चंदन कुमार—–राजद

खगड़िया में कब कौन बने विधायक

वर्ष – विधायक- पार्टी

1952—दिवाकर प्रसाद —- कांग्रेस

1957 — केदार नारायण सिंह—- कांग्रेस

1962—केदार नारायण सिंह—-कांग्रेस

1967—- रामबहादुर आजाद—-सोशलिस्ट पार्टी

1969—-रामबहादुर आजाद—सोशलिस्ट पार्टी

1972—–रामशरण यादव—-भारतीय जनसंघ

1977—- रामशरण यादव— आइएनडी

1980—-रामशरण यादव—- जनता पार्टी

1985— सत्यदेव सिंह—-कांग्रेस

1990—-रणवीर यादव—-निर्दलीय

1995—- चंद्रमुखी देवी—-भाजपा

2000—-योगेंद्र सिंह—-सीपीएम

2005(फरवरी)—पूनम यादव— लोजपा

2005 (नवंबर)—पूनम यादव—- जदयू

2010—-पूनम यादव—-जदयू

2015—-पूनम यादव—–जदयू

परबत्ता में कब कौन बने विधायक

वर्ष विधायक पार्टी

1951—त्रिवेणी कुंवर–सोसलिस्ट पार्टी

1952—त्रिवेणी कुंवर—सोसलिस्ट पार्टी

1957—लक्ष्मी देवी—-कांग्रेस

1962—लक्ष्मी देवी—-कांग्रेस

1964— सुरेश चंद्र मिश्र—कांग्रेस

1967—-सतीश प्रसाद सिंह–सोसलिस्ट पार्टी

1969—-जगदंबी मंडल—कांग्रेस

1972—-शिवाकांत मिश्र—कांग्रेस

1977—-नईम अख्तर—जनता पार्टी

1980—-रामचंद्र मिश्र—-कांग्रेस

1985—-रामचंद्र मिश्र—-काग्रेस

1990—–विद्या सागर निषाद—जनता दल

1995—-विद्या सागर निषाद—जनता दल

2000 —-राकेश कुमार उर्फ सम्राट चौधरी—जनता दल

2004—-आरएन सिंह—-जदयू

2005(फरवरी)—आरएन सिंह—-जदयू

2005(अक्तूबर)—-आरएन सिंह—-जदयू

2010—सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार—-राजद

2014——आरएन सिंह—-जदयू

2015——आरएन सिंह—-जदयू

बेलदौर में कब कौन बने विधायक

2010- पन्नाला सिंह पटेल—जदयू

2015—-पन्नालाल सिंह पटेल—जदयू

Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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