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बिहार में स्कूलों से 20 % गुरूजी रहते हैं गायब, 60% बच्चों के लिए नहीं खरीदी जाती किताब, जानें पूरी रिपोर्ट

बिहार में शिक्षा की स्थिति पर ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 बुधवार को जारी की गयी. इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की अंग्रेजी और गणित की क्षमता में इजाफा हुआ है. साथ ही निजी कोचिंग में बच्चों की रुचि बढ़ी है.

बिहार में शिक्षा की स्थिति पर ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 बुधवार को जारी की गयी. इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की अंग्रेजी और गणित की क्षमता में इजाफा हुआ है. साथ ही निजी कोचिंग में बच्चों की रुचि बढ़ी है. प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति भी बढ़ी है. 15-16 साल की अनामांकित लड़कियों का अनुपात घटा है. रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में कक्षा पांच के बच्चों में अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता में वर्ष 2016 से 2022 के बीच 4.3% की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2018 में ऐसे बच्चों की संख्या 18.1% थी, जो 2022 में 22.4% हो गयी है. कक्षा आठ में अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता 2022 में 2014 के समान ही 43.8% पर स्थिर है. बिहार में कक्षा तीन के 11.4% बच्चे अंग्रेजी के साधारण वाक्यों को पढ़ने में सक्षम और 54.5% बच्चे उनका अर्थ बताने में सक्षम थे.

निजी कोचिंग में बच्चों की रुचि बढ़ी

सरकारी या निजी स्कूलों के कक्षा पांच के बच्चों में भाग करने की दक्षता वर्ष 2018 की तुलना में 5.5% बढ़ कर 2022 में 35.4% हो गयी है. सरकारी स्कूलों में कक्षा पांच के ऐसे बच्चों की संख्या में 5.9% और कक्षा आठ में 2.4% की वृद्धि हुई है. 8वीं तक के बच्चों में निजी कोचिंग के ट्रेंड 9.5% का इजाफा हुआ है. इस वर्ग के विद्यार्थी 2018 में 62.2% बच्चे निजी ट्यूशन लेते थे, अब यह आंकड़ा 71.7% हो गया है. बिहार में निजी कोचिंग का ट्रेंड देश में सर्वाधिक है.

34.9% उच्च प्राथमिक स्कूलों में की किताबें मिलीं

कोविड के दौरान सरकारी स्कूल बंद होने के बाद भी 4.1% नामांकन बढ़े हैं. वर्ष 2022 तक बिहार के सरकारी स्कूलों में छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों के नामांकन 82.2% है. इसी आयु वर्ग में निजी और सरकारी स्कूलों में कुल नामांकन 98% रहा है. 2022 के दौरान बिहार में 11-14 वर्ष की अनामांकित लड़कियों की संख्या 1.8% रह गयी है. 15-16 साल की अनामांकित लड़कियों का अनुपात घट कर 6.7% रह गया है. प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की औसत उपस्थिति 2018 में 56.5% से बढ़ कर 2022 में 59.3% हो गयी है. 30.2% प्राथमिक और 34.9% उच्च प्राथमिक स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें थीं. साफ जाहिर है कि बच्चों के खाते में डाले गये पैसों से समुचित किताबें नहीं खरीदी गयी हैं.

विशेष तथ्य

– स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक तीन वर्ष तक के नामांकित बच्चे – 77.1%

– 60 या उससे कम विद्यार्थियों वाले प्राथमिक सरकारी स्कूल – 5.8%

– शिक्षकों की उपस्थिति 2018 में 68.5% की तुलना में बढ़ी – 80.9%

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