इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 22 सितंबर सोमवार से हो रहा है. दो अक्तूबर को विजयादशमी व दशहरा मनाया जायेगा. 11 दिवसीय यह पर्व भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जा रहा है. सहित्यवाचस्पति आचार्य रामजी मिश्र रंजन ने बताया कि इस बार माता दुर्गा हाथी पर सवार होकर आयेंगी. धर्मशास्त्र के अनुसार मां का आगमन जब रविवार या सोमवार को होता है, तो हाथी पर सवार होकर आती हैं और इसे अति शुभ एवं समृद्धि का सूचक माना जाता है. इस बार विजया दशमी गुरुवार को है, जिसके कारण माता दुर्गा नर पर विदा होंगी. जो शुभकारी अतिसुखदायी, मंगल और शुभता का प्रतीक है.
घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
घटस्थापना का शुभ समय 22 सितंबर सोमवार को सुबह से शाम तक किसी भी समय किया जा सकता है. नवरात्र में खुद या पुरोहित से संकल्प लेकर सप्तशती का पाठ करना या करवाना पुण्य फलकारी है. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार इस बार की शारदीय नवरात्रि भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और मंगलकारी है. नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करने का विधान इस प्रकार है.22 सितंबर : पहला पूजा मां शैलपुत्री दर्शन23 सितंबर : दूसरी पूजा मां ब्रह्मचारिणी दर्शन24 सितंबर : तीसरी पूजा मां चंद्रघंटा दर्शन25-26 सितंबर : चौथी पूजा मां कूष्मांडा दर्शन27 सितंबर : पंचमी पूजा मां स्कंदमाता दर्शन28 सितंबर : षष्ठी पूजा बिल्वाभिमंत्रण पूजन मां कात्यायनी दर्शन29 सितंबर : सप्तमी पूजा, नवपत्रिका प्रवेश व महा स्नान और मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठामां कालरात्रि दर्शन30 सितंबर : अष्टमी पूजा, अल सुबह से गोद भरायी व अष्टमी व्रत उपवास, निशा पूजन, मां महागौरी दर्शन01 अक्तूबर : नवमी पूजा, महानवमी का पूजन, कन्या पूजन, दिन के दो बज कर 35 मिनट तक हवन कार्य व नवरात्र पूजन-अनुष्ठान की समाप्तिमां सिद्धिदात्री दर्शन02 अक्तूबर : विजयदशमी विभिन्न माता के मंदिर में श्रवण नक्षत्र युक्त उदयकालीन एवं अपराह्न व्यापिनी दशमी तिथि में कार्य सम्पन्न कर प्रतिमा विसर्जन.
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