नवगछिया पुनामा प्रतापनगर मंदिर की मैया की महिमा निराली है. यहां मैया के दरबार में सच्चे मन से भक्त जो मन्नत मांगते हैं, मैया उनकी मुराद अवश्य पूरी करती हैं. यहां मां की प्रतिमा नहीं बनायी जाती है. यहां ज्योत और कलश की पूजा होती है. साथ ही मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पूरे वर्ष वर्जित रहता है. यहां अष्टमी एवं नवमी को पशुओं की बलि दी जाती है. नवमी को भैंसे की भी बलि दी जाती है. साथ ही पहली, तीसरी, पांचवीं और सातवीं पूजा को भी एक-एक पशु की बलि दी जाती है. बताया जाता है कि राजा चंदेल के वंशज प्रताप राव ने 1526 में पुनामा प्रताप नगर में दुर्गा मंदिर की स्थापना की थी. इनके वंशज प्रवीण सिंह, विजेंद्र कुमार सिंह बताते हैं-स्थापना काल से ही मंदिर में तांत्रिक और गुप्त विधि से पूजा की जाती है. इसलिए यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित माना गया है. महिलाएं बाहर से पूजा और दर्शन करती हैं. यहां ज्योत पहली पूजा से दशमी तक जलती रहती है. विसर्जन के समय लोगों की भीड़ के बीच जलती हुई ज्योत का विसर्जन किया जाता है. कोसी नदी के कटाव में तीन बार कटने बाद 2004 में राजेंद्र कॉलोनी के पुनामा प्रताप नगर में मंदिर की स्थापना कर पूजा शुरू की गयी.
चौंसठ योगिनी पूजा :
यहां सप्तमी को होने वाली निशा पूजा भव्य होती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से भक्त मंदिर आते हैं. सप्तमी की रात्रि में निशा पूजा के दौरान माता के चौसठ योगिनी की पूजा होती है.सुलतानगंज नगर परिषद क्षेत्र के अबजूगंज स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर में सोमवार शाम नगर परिषद के सफाई सुपरवाइजर विनोद मल्लिक ने श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किये. प्रसाद वितरण कार्यक्रम में श्री मल्लिक के साथ पत्नी ललिता देवी, पुत्र मिथलेश कुमार, हिमांशु कुमार व पुत्री भी शामिल हुई. करीब तीन हजार श्रद्धालुओं ने प्रसाद पाया. श्री मल्लिक ने कहा-मां दुर्गा की महिमा इतनी अपरंपार है कि कोई भी शब्द उसका संपूर्ण वर्णन नहीं कर सकता. जब भक्त सच्चे मन से मां को पुकारता है, तो मां उसके जीवन के समस्त दुख और कष्ट हर लेती हैं.
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