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bhagalpur news. मातृ व शिशु स्वास्थ्य में जल व स्वच्छता प्रथाओं के महत्व पर चर्चा

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (ट्रिपल आइटी) भागलपुर में गुरुवार को आइआइटी पटना व महिला सहयोग मंच नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में बिहार में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने विषय पर कार्यक्रम हुआ.

भागलपुर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (ट्रिपल आइटी) भागलपुर में गुरुवार को आइआइटी पटना व महिला सहयोग मंच नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में बिहार में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने विषय पर कार्यक्रम हुआ. इसकी अध्यक्षता आइआइटी पटना के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रधान अन्वेषक एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पापिया राज ने की. कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य चुनौतियों को उजागर कर राज्य में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए एकीकृत, प्रौद्योगिकी संचालित समाधान तलाशना था. कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ पापिया राज, आइआइटी पटना के एसोसिएट प्रो डॉ आदित्य राज, ट्रिपल आइटी भागलपुर के रजिस्ट्रार डॉ गौरव कुमार, टीएमबीयू के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ रुचि श्री ने किया. सत्र की शुरुआत करते हुए डॉ पापिया राज ने बिहार में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने सार्थक बदलाव लाने के लिए सामुदायिक सहभागिता, शोध-आधारित नीति व इसके क्रियान्वयन की बात कही. वहीं स्वास्थ्य के सामाजिक और संरचनात्मक आयामों पर प्रकाश डाला, जिन्हें चिकित्सा सुविधाओं से परे एकीकृत समाधानों की आवश्यकता है. स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका डॉ संदीप राज ने स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं के लिए पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए वास्तविक समय डेटा संग्रह जैसे एआइ अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी साझा की. इसके बाद डॉ रुचि श्री ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में जल, स्वच्छता और स्वच्छता प्रथाओं के महत्व पर जानकारी साझा की. डॉ गौरव कुमार ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के उद्देश्य से जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान की जानकारी दी. डॉ आदित्य राज ने हमारी प्राचीन संस्कृति में निहित प्रथाओं के महत्व पर जोर दिया, जो समग्र स्वास्थ्य, सामुदायिक देखभाल और प्रकृति के साथ सामंजस्य को बढ़ावा देती है. इस कार्यक्रम में 50 से अधिक छात्र, विद्वान, स्वास्थ्य पेशेवर और स्थानीय समुदाय के सदस्य शामिल हुए.

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