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= दही, फल और विशेष पकवान चंद्रमा को किये गये अर्पणवरीय संवाददाता, भागलपुर
पारंपरिक लोक पर्व चौरचंदा मंगलवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. संतान की दीर्घायु, आरोग्यता और निष्कलंकता की कामना करते हुए महिलाओं ने संध्या में चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित किया. परंपरा के अनुरूप दही, फल और विशेष पकवान चंद्रमा को अर्पण किये गये. पंडितों के अनुसार इस पर्व का धार्मिक महत्व भी है. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेशजी फिसलकर गिर पड़े थे. इस दृश्य पर चंद्रदेव हंस पड़े, जिससे वे स्वयं भी मिथ्या कलंक के भागी बने. तभी से यह पर्व चंद्रमा के मिथ्या कलंक से मुक्ति और संतानों के कल्याण के लिए मनाया जाने लगा. मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य चंद्रोदय के बाद ही दिया जाता है. महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना करते हुए चंद्रदेव की पूजा करती हैं.पारंपरिक पकवानों की फैली रही खुशबू
चौरचंदा के अवसर पर घर-घर पारंपरिक पकवानों की खुशबू फैली रही. खीर, पूड़ी, खाजा, लड्डू और मौसमी फलों से पूजा का प्रसाद तैयार किया गया. पूजा के बाद प्रसाद का वितरण परिवार और आस-पड़ोस में किया गया.
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