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बाढ़ का कहर: बूढ़ा हूं, मजदूरी भी छिन गयी मेरी पत्नी की जान बचा दो भैया

संजीव भागलपुर : बिहार के भागलपुर में बारिश और बाढ़ ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. यहां दिलदारपुर में किसी और से मदद मिलने की क्या आस करे सहदेव महतो. यहां तो तीन बेटे के होते हुए भी वह अकेला है. वह अपनी बूढ़ी पत्नी को उम्र की इस ढलान पर खोना नहीं चाहते. […]

संजीव

भागलपुर : बिहार के भागलपुर में बारिश और बाढ़ ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. यहां दिलदारपुर में किसी और से मदद मिलने की क्या आस करे सहदेव महतो. यहां तो तीन बेटे के होते हुए भी वह अकेला है. वह अपनी बूढ़ी पत्नी को उम्र की इस ढलान पर खोना नहीं चाहते. कम से कम मन का बोझ अपनी पत्नी को बता हल्का तो हो लेते हैं. लेकिन लकवाग्रस्त पत्नी माजो दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है. बाढ़ के कारण सारे खेत-खलिहान डूब चुके हैं. जो मजदूरी मिल रही थी, वह छिन चुकी है.

टिल्हा कोठी में बने राहत शिविर में सरकारी भोजन मिल रहा है, जिससे भूखे मरने की नौबत नहीं है. लेकिन प्लास्टिक की छत के नीचे दो-तीन बकरियों के पास खटिया पर 24 घंटे पड़ी रहनेवाली पत्नी को देख वह बेचैन हैं. यहां आनेवाले हर बाहरी आदमी से वह अपनी पत्नी को बचा देने की गुहार लगाते हैं. वह कहते हैं…बूढ़ा हो गया हूं. मजदूरी छिन जाने से हाथ में पैसे भी नहीं कि डॉक्टर को जाकर दिखा सकें. सहदेव महतो सवाल भी करते हैं कि सरकारी अस्पताल में चले भी जायेंगे, तो छोटे-मोटे खर्च कहां से लायेंगे.

इन तमाम परेशानियों के बीच उठते सवाल उन्हें बेचैन कर रहा है. पत्नी की कराह सुन वह खुद ही उनकी पांव दबाने पहुंच जाते हैं. दिलासा देते हुए कहते हैं…थोड़ा और बर्दाश्त कर लो, विश्वास रखो, तुम फिर से चलने-फिरने लगोगी.

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