बेतिया. कोर्ट ने सदेह उपस्थिति से मुक्त करने के लिए दाखिल अधियाचना को अस्वीकृत करते हुए बेतिया के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी शशांक शेखर ने पश्चिमी चंपारण के पूर्व डीएम दिलीप कुमार के विरुद्ध वारंट जारी किया है. उन्हें सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया है. एक आपराधिक मामले में पूर्व डीएम की ओर से कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति में छूट देने के लिए आवेदन दाखिल किया गया था. उपस्थित होने के लिए उनके विरुद्ध जमानतीय वारंट निर्गत किया गया है. व्यवहार न्यायालय बेतिया के अधिवक्ता ब्रजराज श्रीवास्तव की ओर से दायर परिवाद में अभियुक्त बनाये गये दिलीप कुमार वर्तमान में पंजाब सरकार में प्रधान सचिव हैं. उनके विरुद्ध अधिवक्ता ब्रजराज श्रीवास्तव ने 2008 में मुकदमा दायर किया था. कोर्ट ने उनकी उपस्थिति के लिए सम्मन जारी किया था. इसके बावजूद वह उपस्थित नहीं हुए. दिलीप कुमार ने 20 सितंबर 2024 को आवेदन देते हुए कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति से मुक्त करने की गुहार लगायी थी. इसके बावजूद उन्हें राहत नहीं मिली. एसडीजेएम शशांक शेखर ने आवेदन को खारिज कर दिया है. व्यक्तिगत उपस्थिति में छूट देने से इनकार कर दिया है. पूर्व डीएम पर क्या है आरोप अधिवक्ता ब्रजराज श्रीवास्तव ने आरोप लगाया था कि 2008 में डीएम दिलीप कुमार ने करनमेया महावीरी झंडा के विवाद को लेकर शांति समिति की बैठक बुलाई थी. इसमें उन्हें व विजय कश्यप को आमंत्रित किया गया था. बैठक में डीएम ने समझौता पत्र पर दोनों पक्षों को हस्ताक्षर करने को कहा. ब्रजराज श्रीवास्तव व विजय कश्यप ने समझौता पत्र में कुछ सुधार करने को कहा. इस पर डीएम नाराज हो गये. दोनों को बैठक से बाहर कर दूसरे रूम में बैठने को कहा. बैठक समाप्त होने पर डीएम सादे लिबास में कुछ लोगों के साथ आये. दोनों के साथ गाली-गलौज व मारपीट की. उसके बाद दोनों को हथकड़ी लगाकर हाजत में बंद करवा दिया. फिर रात्रि के 9.30 बजे वह नगर थाने पहुंचे. दोनों को हाजत से निकालकर पुलिस से पिटवाया. उन्हें अर्द्धरात्रि में ही जेल भेज दिया.
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