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पर्यवेक्षण गृह: दृष्टि बदली तो बदलने लगी ””देश के भविष्य”” की सृष्टि

हमारे महापुरुषों ने कहा है कि अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं. यदि अपराध करने वालों के मन में पश्चाताप हो और उसमें सुधरने की इच्छा जागृत हो जाए तो बड़े से बड़ा अपराधी भी अच्छा नागरिक बन सकता है.

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अवध किशोर तिवारी, बेतिया

हमारे महापुरुषों ने कहा है कि अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं. यदि अपराध करने वालों के मन में पश्चाताप हो और उसमें सुधरने की इच्छा जागृत हो जाए तो बड़े से बड़ा अपराधी भी अच्छा नागरिक बन सकता है. कुछ ऐसे ही दृश्य बेतिया के बरवत रोड में घरदान पोखरा के समीप अवस्थित पर्यवेक्षण गृह से बयां हो रहे हैं. यहां 18 वर्ष से कम के विधि विरुद्ध बालकों को रखा जाता है.

सरकार की योजना के अनुसार इन बालकों को समुचित सुविधाएं मुहैया कराई जाती है. रहने, खाने से लेकर पढ़ने तक की सारी व्यवस्था सरकार कर रही है. इस परिसर को देखते ही सामान्य लोगों को ऐसा लगता है कि इसके भीतर अपराध में लिप्त बच्चे रहते होंगे, लेकिन अहाते में प्रवेश करते ही मन के भाव बदल जाते हैं. क्यारियों में लगी फूल पत्तियां और परिसर में आवासित बच्चों का अनुशासन देखकर लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं. किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी कहते हैं कि अपराधियों को दंड देने का काम तो कानून करता ही है लेकिन इस अवस्था में कई बार बच्चे किसी के बहकावे में आ जाते हैं, या उनसे अनजाने में गलतियां हो जाती है. ये समझकर यदि इन बच्चों के साथ व्यवहार किया जाए तो उनमें निश्चित सुधार होगा और वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे. यदि इन बच्चों की सृष्टि बदलनी है, उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाना है तो उनके प्रति अपनी दृष्टि को भी बदलना पड़ेगा. इस दृष्टि का परिणाम है कि यहां से निकलने बाद कई बच्चे अग्निवीर की बहाली में सफल हुए हैं. कुछ संगीत और नृत्य सीखने में लगे हैं, और कुछ यहां से जाने के बाद आगे की पढ़ाई में लगे हैं.

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जज और अफसर देते हैं नैतिक शिक्षा की सीख

बच्चों ने बताया कि जज साहब एक अभिभावक की तरह प्रतिदिन समझाते हैं, जिससे अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा मिलती है. इतना ही नहीं यदि किसी चीज की आवश्यकता होती है तो उसे अभिभावक की तरह अपने स्तर से पूरा करने का भी प्रयास करते हैं. हाल ही में जिला पदाधिकारी दिनेश कुमार राय के निरीक्षण में इसका परिणाम दिखा था, जब बच्चों नें विज्ञान और कला प्रदर्शनी का आयोजन किया था. जिला पदाधिकारी भी इससे प्रभावित हुए और बच्चों की पीठ थपथपाई साथ ही शिक्षकों को बधाई दी. बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक बृजभूषण कुमार और अधीक्षक सूरज कुमार बताते हैं कि इस सकारात्मक वातावरण का सीधा असर देखने को मिला है. जहां पहले एक ही बच्चे कई बार विभिन्न अपराध में पकड़ कर आते थे, वहीं अब दुबारा आने वालों की संख्या नगण्य हो गयी है.

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समय समय पर होता है विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन

अधीक्षक सूरज कुमार और परामर्शी राजीव कुमार बताते हैं कि शिक्षकों द्वारा समय-समय पर इन बच्चों के बीच सामान्य ज्ञान, गीत संगीत और खेलकूद आदि की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिससे बच्चों का मानसिक विकास होता है और वे अपराध की राह त्याग कर मुख्य धारा से जुड़ने के लिए प्रेरित होते हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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