बेतिया . नगर के महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय में भगवान धनवंतरी जयंती पर आयुर्वेद आधारित जीवनशैली और औषधीय पौधों की उपयोगिता विषयक संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया.कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य सह बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के डीन प्रो. (डॉ.) रवींद्र कुमार चौधरी ने कहा कि योग, आयुर्वेद, एक्यूप्रेशर और प्रकृति चिकित्सा सिस्टेमिक उपचार पद्धतियां हैं,जबकि एलोपैथी केवल लक्षणों का उपचार करती है.प्रत्येक मनुष्य के भीतर रोगों को दूर करने की शक्ति निहित होती है,और प्रकृति में उपस्थित औषधीय तत्वों के माध्यम से स्वास्थ्य, संतुलन और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है. प्राचार्य प्रो. चौधरी ने कहा कि धनतेरस वास्तव में भौतिक धन का नहीं,बल्कि स्वास्थ्य-धन के संचय का पर्व है, जो हमें आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देता है.कार्यक्रम का संचालन कर रहे महाविद्यालय के योगाचार्य पवन कुमार चौधरी ने कहा कि भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद के जनक के रूप में प्रतिष्ठित हैं. जिनकी मान्यता के अनुसार प्रकृति में ऐसा कोई पौधा नहीं है जिसमें औषधीय गुण न हो.इस लिए यह आवश्यकता है कि उपयोगी पौधों की पहचान कर के उनका उचित उपयोग किया जाए. क्योंकि जब तक मनुष्य प्रकृति से जुड़ा नहीं रहेगा, तब तक पूर्ण स्वास्थ्य संभव नहीं है.कार्यक्रम के संयोजक योग क्लब के समन्वयक डॉ. राजेश कुमार चंदेल स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख उन्हीं को प्राप्त होते हैं जो सात्त्विक, कर्मनिष्ठ और अहित रहित होते हैं. सरल और सात्त्विक भोजन शरीर के साथ-साथ मन को भी शुद्ध करता है, जिससे मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य सुदृढ़ रहता है. भूगोल विभाग के प्राध्यापक डॉ. योगेन्द्र सम्यक ने कहा कि आज के समय में जब महंगी एवं दुष्प्रभावकारी चिकित्सा पद्धतियां प्रचलन में हैं, तब आयुर्वेद मानवता को दीर्घ स्वास्थ्य और दीर्घायु का मार्ग दिखा रहा है. वर्तमान युग की आवश्यकता है कि हम प्रकृति-आधारित जीवनशैली को अपनाकर अपने स्वास्थ्य को संतुलित रखें. भौतिक विज्ञान के शिक्षक भारत भूषण ने कहा कि कहा कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अवतार हैं,जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इस अवसर पर योग क्लब के सक्रिय विद्यार्थियों अखिलेश कुमार, दिवाकर कुमार, शशिरंजन कुमार, रितेश कुमार, स्तुति कुमारी, वंदना कुमारी, सिंपल कुमारी, अन्नपूर्णा, किशन कुमार, अविनाश कुमार, रजनीश कुमार, रिशु, अनुपम, जितेश कुमार, ब्यूटी एवं रंजनी कुमारी को योग पार्क के औषधीय पौधों के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई. कार्यक्रम के समापन पर दर्शनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. प्रेम कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
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