लौरिया. गुरुवार को थाईलैंड और इंडोनेशिया से आए 25 सदस्यीय बौद्ध भिक्षुओं के दल ने ऐतिहासिक लौरिया अशोक स्तंभ (नंदनगढ़ स्तूप) का दौरा किया और भगवान बुद्ध की विधिवत पूजा-अर्चना की. स्थानीय लोगों ने भिक्षुओं का उत्साहपूर्वक स्वागत किया. भिक्षुओं ने सबसे पहले स्तूप की तीन बार परिक्रमा की. इसके बाद मॉन्क लाम हा थी के नेतृत्व में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित कर लगभग डेढ़ घंटे तक अपनी भाषा में पूजा-अर्चना की. इस दौरान भिक्षु बुद्ध कान ओन बान सुन का उच्चारण करते हुए हाथ ऊपर उठाकर ताली बजाते और भक्ति भाव में मग्न दिखाई दिए. पूजा-अर्चना के बाद बौद्ध भिक्षुओं ने स्थानीय बच्चों में फल और टॉफी का वितरण किया. द्विभाषीय अनुवादक ने बताया कि सभी भिक्षु भगवान बुद्ध की आराधना के लिए यहां आए हैं और उनका मानना है कि इस स्तूप से उन्हें असीम शांति और सुख की अनुभूति होती है. इस अवसर पर सीओ नितेश कुमार सेठ ने अशोक स्तंभ और भगवान बुद्ध से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी भिक्षुओं को दी, जिसे उन्होंने ध्यानपूर्वक सुना. पूजा-अर्चना के बाद सभी भिक्षु कुशीनगर के लिए प्रस्थान कर गए. दल में श्री उतमी, तनग थी लिन्ह, चू थी लिंग, जूलिया सूर्या, शेरी ट्रे, आन कान ओन, चान आन कान सहित अन्य भिक्षु शामिल थे.
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