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धर्म योगी नहीं कर्म योगी बने

स्वामी विवेकानंद की 152वी जयंती मनीतस्वीर-कार्यक्रम को संबोधित करते संस्था के निदेशक तस्वीर-16(आवश्यक )छौड़ाही. 1893 में शिकागो में विश्व शांति, भाईचारा व सहिष्णुता का संदेश देकर स्वामी विवेकानंद ने विश्व को बंधुत्व के एक सूत्र में बांधने की कोशिश की थी. सभी धर्मों को सामान रूप से सत्य मानते हुए सहिष्णुतापूर्वक आत्मसात करने पर बल […]

स्वामी विवेकानंद की 152वी जयंती मनीतस्वीर-कार्यक्रम को संबोधित करते संस्था के निदेशक तस्वीर-16(आवश्यक )छौड़ाही. 1893 में शिकागो में विश्व शांति, भाईचारा व सहिष्णुता का संदेश देकर स्वामी विवेकानंद ने विश्व को बंधुत्व के एक सूत्र में बांधने की कोशिश की थी. सभी धर्मों को सामान रूप से सत्य मानते हुए सहिष्णुतापूर्वक आत्मसात करने पर बल दिया था. ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल, छौड़ाही में सोमवार को आयोजित स्वामी विवेकानंद की 152वीं जयंती के अवसर पर उक्त बातें संस्था के निदेशक अंजेश कुमार ने कहीं. श्री कुमार ने कहा कि बढ़ते आतंकवाद के खात्मे के लिए आज के दौर में स्वामी विवेकानंद का सिद्धांत अनुकरणीय होगा. स्वामी जी ने योग के बल पर संपूर्ण विश्व को एक करने का संदेश दिया था. स्वामी जी ने धर्म योगी नहीं कर्मयोगी बनने का संदेश दिया था. समारोह की शुरुआत संस्था के निदेशक अंजेश कुमार ने की. मौके पर उपप्राचार्य अजय कुमार, अरविंद कुमार मिश्र, पवन कुमार मिश्र, राजीव नयन झा, सुधीर श्रीवास्तव, सुजीन कुमार ठाकुर, अवनीश कुमार सहित आदि ने स्वामी विवेकानंद के जीवन चरित्र व कृतित्व पर प्रकाश डाला.

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