14.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बिहार में लाखों का शौचालय घोटाला, सरकारी पैसे की हेराफेरी, भभुआ के बीडीओ सस्पेंड

भभुआ प्रखंड के बीडीओ को शांति समिति की बैठक में शामिल नहीं होने, जाति आधारित गणना की बैठक में अनुपस्थित रहने, शौचालय कार्य में लापरवाही बरतने वाले दोषियों पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है.

बिहार के कैमूर जिला के भभुआ प्रखंड में शौचालय निर्माण योजना के तहत 272 फर्जी लाभुकों के नाम पर 30 लाख 48 हजार के घोटाले का मामला सामने आया है. मामले में एक तरफ बीडीओ द्वारा चार सरकारी कर्मियों पर सरकारी राशि हड़पने की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. वहीं, दूसरी तरफ जांच टीम ने इस घोटाले में हाथ बंटाने को लेकर बीडीओ भभुआ को भी लपेट लिया है. मामले में रुपये गबन समेत कार्यों में लापरवाही के आरोप में बीडीओ को सस्पेंड कर दिया गया है. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ एन सरवन कुमार ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किया है.

इस वजह से बीडीओ किए गए सस्पेंड

मनोज कुमार के खिलाफ भभुआ के डीएम ने शांति समिति की बैठक में शामिल नहीं होने, जाति आधारित गणना की बैठक में अनुपस्थित रहने, शौचालय कार्य में लापरवाही बरतने वाले दोषियों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया था. साथ ही लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान में 30 लाख 48 हजार रुपये के गबन में संलिप्त रहने, उच्च अधिकारियों के आदेश का उल्लंघन करने तथा पुलिस और कोर्ट पर अभद्र टिप्पणी का भी आरोप लगाया था. इस आरोप की समीक्षा की गयी. इसमें पाया गया कि बीडीओ मनोज कुमार अग्रवाल पर लगे आरोप गंभीर हैं और इसकी जांच की जरूरत है. जांच के दौरान वे अगर अपने पद पर रहते हैं तो इससे कागजातों में छेड़छाड़ की संभावना है. इस कारण मनोज अग्रवाल को सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ जांच का आदेश जारी किया गया है. निलंबन अवधि तक के लिए मनोज कुमार का मुख्यालय जिला ग्रामीण विकास अभिकरण पटना निर्धारित किया गया है. ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव नंदकिशोर साह को जांच के लिए संचालन पदाधिकारी बनाया गया है.

भभुआ बीडीओ ने जिलास्तरीय टीम की जांच पर उठाये सवाल

वहीं इससे पहले बीडीओ मनोज अग्रवाल ने शौचालय घोटाला को लेकर गठित की गयी जिलास्तरीय टीम की जांच पर ही सवाल उठाते हुए जांच करने वाले अधिकारियों से दर्ज करायी गयी शौचालय घोटाला की प्राथमिकी में पूछताछ करने के लिए थाने को पत्र लिखा था, साथ उक्त घोटाला की जांच आर्थिक अपराध इकाई या निगरानी से कराने की मांग की थी.

273 लाभुकों के नाम पर फर्जी भुगतान

गौरतलब है कि भभुआ प्रखंड में 273 लाभुकों के नाम पर किये गये शौचालय निर्माण भुगतान को फर्जी करार देते हुए भभुआ बीडीओ द्वारा बीते दिनों सदर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. उसमें फर्जी भुगतान किये जाने के मामले में प्रखंड के कार्यपालक सहायक नीतीश कुमार, तत्कालीन जिला समन्वयक हेमंत कुमार, तत्कालीन जिला सलाहकार यशवंत कुमार सहित डीआरडीए के कार्यपालक सहायक पंकज कुमार को आरोपित बनाया गया था.

Also Read: बिहार में पर्यटन का नया डेस्टिनेशन तुतला भवानी, यहां वाटरफॉल से लेकर पहाड़ों की खूबसूरती करती है आकर्षित

जिलास्तरीय जांच टीम ने बीडीओ भभुआ को ठहराया जिम्मेदार

जबकि, इस मामले में जिला स्तर पर डीआरडीए निदेशक पम्मी रानी की अध्यक्षता में गठित की गयी टीम ने शौचालय के फर्जी भुगतान में बीडीओ भभुआ को भी जिम्मेदार ठहराते हुए अन्य चार को दोषी बता जिला पदाधिकारी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी. इस आलोक में डीएम ने भभुआ बीडीओ के खिलाफ प्रपत्र क गठित करने को ले एसडीएम भभुआ को निर्देश देते हुए जिला जांच टीम द्वारा दोषी पाये गये कार्यपालक सहायक नीतीश कुमार तथा पवन कुमार चौबे व प्रखंड समन्वयक अनिल कुमार राम की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया था. साथ ही तत्कालीन जिला समन्वयक हेमंत कुमार पर भी कार्रवाई के लिए विभाग को पत्र भेजने का निर्देश दिया गया था.

बीडीओ ने डीएम के साथ वरीय पदाधिकारियों को भी भेजी प्राथमिकी की प्रतिलिपि

बहरहाल, जिला स्तरीय टीम की जांच पर सवाल उठाते हुए बीडीओ ने सदर थाने के प्रभारी को आवेदन दिया. जिसमें कहा गया कि शौचालय भुगतान में कौन लोग दोषी हैं, इसे सब जानते हैं. पिछले सात माह से मैं इसी शौचालय घोटाला की जांच में लगा रहा. लेकिन, पांच सदस्यीय जिला जांच टीम ने मात्र एक सप्ताह से भी कम समय में इसकी जांच कर ली और वास्तविकता के विपरीत रिपोर्ट दे दी गयी. जबकि, मेरे द्वारा जिला जांच टीम को यह फर्जी भुगतान कैसे हुआ, कौन दोषी है आदि हरेक पहलू पर विस्तार से जानकारी दी गयी थी. मेरे द्वारा जो प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है शत प्रतिशत सही है. आवेदन में यह भी कहा गया है कि इस घोटाले में तकनीक का दुरुपयोग करते हुए सभी चरणों में गड़बड़ी की गयी है. शौचालय निर्माण की प्रक्रिया के विभिन्न चरण हैं. इसमें लाभुक के एलएसबीए में आवेदन की इंट्री, आवेदन की जांच, एसबीएम में इंट्री, जिला से अप्रूवल, जियो टैगिंग, फिर जिला से अप्रूवल, आधार अपग्रेडेशन फिर पेमेंट, पेमेंट में बीडीओ के डिजिटल सिग्नेचर द्वारा भुगतान स्वाभाविक है. अत: जिन पांच सदस्यों द्वारा जांच रिपोर्ट दी गयी है, उन सभी पांचों पदाधिकारियों से जरूर पूछा जाये कि उन्होंने क्या रिपोर्ट दी और किस आधार पर दी है. ऐसी क्या परिस्थिति थी कि उनके द्वारा ऐसी भ्रामक रिपोर्ट डीएम और डीडीसी को दी गयी, जो बिलकुल ही सच्चाई के विपरीत है.

Also Read: पटना के मीठापुर-महुली एलिवेटेड रोड के निर्माण में फंसा पेंच सुलझा, जानें कब होगा तैयार

शौचालय घोटाले ने लूट-खसोट की खोल दी पोल

भभुआ प्रखण्ड में फर्जी लाभुकों के नाम पर 30 लाख के उजागर हुए घोटाला ने किस तरह शौचालय बनाने के नाम पर लूट खसोट हुआ है, इसकी पोल खोल कर रख दी है. उक्त उजागर घोटाला ने यह साबित कर दिया है कि जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक सरकारी कर्मियों व पदाधिकारियों द्वारा एक गिरोह बनाकर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की राशि का लूट खसोट की जा रही थी.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel