चंदन कुमार, बांका. लोक आस्था का महापर्व चैती छठ को लेकर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में श्रद्धा का वातावरण शुरू हो चुका है. कल यानी मंगलवार 1 अप्रैल को नहाय खाय (कद्दू भात) के साथ ही चार दिवसीय इस महापर्व का अनुष्ठान आरंभ हो जायेगा. इसके पूर्व श्रद्धालु व छठ व्रती गंगा सहित जिले के प्रमुख नदियों में डुबकी लगाकर पवित्र हो रहे है. साथ ही छठ व्रत को लेकर पूजन सामग्री की खरीदारी भी करना शुरु कर दिया है. वहीं शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे बड़े सभी घाटों की साफ-सफाई को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है. दूसरी तरफ शांतिपूर्ण छठ पर्व संपन्न कराने को लेकर जिला प्रशासन काफी मुस्तैद दिख रही है. लोक आस्था के इस पर्व पर पूजन सामग्री को लेकर शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बाजार सज गया है. मान्यता के अनुसार हिंदू समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार होने की वजह से तैयारी भी उसी तरह की जा रही है. छठ पर्व को पारंपरिक तरीके से मनाने का पूर्व से चलन रहा है. इस पर्व को सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए इन दिनों गांव व शहर के गली मोहल्ले में छठ गीतों की धूम मची हुई है. मोबाइल, टीवी, ऑडियो के जरिये हर जगह तरह-तरह के छठ गीत से पूरा वातावरण भक्तिमय हो चुका है. साल में दो बार आयोजित होता है छठ पर्व. छठ का त्योहार साल में दो बार श्रद्धा व आस्था के साथ मनाया जाता है. जो चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में होता है. चैत्र मास में मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ के नाम से भी जाना जाता है. यह चार दिनों का महापर्व चैत्र में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी तिथि तक चलता है. शास्त्रों के अनुसार, चैती छठ के अवसर पर भगवान सूर्य और माता षष्ठी की पूजा की जाती है. यह अनुष्ठान चार दिनों तक चलता है और इसमें विशेष विधियों का पालन किया जाता है. एक अप्रैल से आरंभ होगा छठ महापर्व. इस वर्ष चैती छठ महापर्व 1 अप्रैल से आरंभ होकर 4 अप्रैल तक चलेगा. इस बार चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 2 अप्रैल को रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 3 अप्रैल को रात 9 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. इसलिए, 1 अप्रैल को नहाय खाय, 2 अप्रैल को खरना, 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्घ और 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ अर्पित किया जायेगा. -छठ पूजा का महत्व. छठ पूजा का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. जिसमें भक्तगण कठोर उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. छठ व्रत में बनाये जाने वाले प्रसाद की विशेषता यह है कि इसे पूर्ण शुद्धता और सात्विकता के साथ तैयार किया जाता है. विशेष रूप से नई फसल से निर्मित प्रसाद न केवल स्वादिष्ट होता है. बल्कि इसकी धार्मिक महत्ता भी अधिक होती है. नई फसल से बनेगा छठ प्रसाद. छठ पूजा में प्रयुक्त होने वाला प्रसाद मुख्यतः नई फसल से तैयार किया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस समय फसल कटाई का मौसम होता है. जिससे ताजा अनाज और फल आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. गेहूं, चावल, गन्ना और ताजे फल इस पूजा के लिए विशेष रूप से उपयोग किये जाते हैं. छठ पूजा के दौरान बनाये जाने वाले प्रमुख प्रसादों में ठेकुआ का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसे गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है. इस बार नई फसल के गेहूं का उपयोग करके ठेकुआ तैयार किया जायेगा. जिससे इसका स्वाद और पवित्रता में वृद्धि होगी. नये गुड़ व चावल से बनेगा खीर. छठ पूजा के लिए गुड़ की खीर भी एक महत्वपूर्ण प्रसाद है. इसे नये चावल, ताजे गुड़ और दूध से बनाया जाता है. नई फसल के चावल और ताजे गुड़ का उपयोग खीर को और भी स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाता है. छठ पूजा में गन्ने और फलों का विशेष महत्व है. गन्ने का रस भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है और व्रतधारी इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस बार नई फसल से ताजा गन्ना और केले पूजा में शामिल किये जायेंगे. जिससे छठी मैया की कृपा और अधिक प्राप्त होगी. माता पूजन के लिए आवश्यक सामग्री. माता पूजन के समय विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्रियों की आवश्यकता होती है. जैसे बांस का सूप, नारियल, अदरक, हल्दी, मूली, नींबू और अन्य फल. इस बार नई फसल से प्राप्त सामग्रियों का उपयोग करके व्रत पूजन को और भी अधिक पवित्र बनाया जायेगा. -चैती छठ का तिथि. 1 अप्रैल- नहाय-खाय (व्रत की शुरुआत) 2 अप्रैल – खरना (विशेष प्रसाद ग्रहण) 3 अप्रैल- संध्या अर्घ (डूबते सूर्य को अर्घ) 4 अप्रैल -उषा अर्घ (उगते सूर्य को अर्घ और व्रत समाप्त)
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