लक्ष्मण कुमार, जयपुर. जयपुर थाना क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम की गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी परंपरा आज भी कायम है. जयपुर बाजार निवासी मुस्लिम श्रद्धालु दफादार के पद पर कार्यरत मो मोइजुद्दीन ने 1960 के दशक में जयपुर थाना क्षेत्र के मोहलियाबरन में मां काली की पूजा शुरुआत की थी. उन्होंने बताया मैं अपने धर्म के अलावा हिंदू धर्म पर भी निष्ठा रखता हूं. चूंकि मेरा हिंदू समाज में ही ज्यादा तौर पर रहन-सहन होता है. उन्होंने बताया मुझे मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत करने का सपना आने के बाद अपने पिता सुल्तान मियां की सलाह पर पूजा की शुरुआत की. उन्होंने गांव टोले की बुद्धिजीवी लोगों को आपबीती सुनाया. फिर स्थानीय श्रद्धालुओं के सहयोग से पूजा की शुरुआत कर दी. इस मंदिर में हिंदू और मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल कायम है. जमदाहा-जयपुर मुख्य सड़क किनारे स्थित मोहलिया बरन में फूस की झोपड़ी में पूजा की शुरुआत की थी. जयपुर क्षेत्र का यह इकलौता मंदिर है. धीरे-धीरे वहां स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा पक्की का मंदिर निर्माण किया गया, जहां मेला का भी आयोजन होता है. जयपुर उच्च विद्यालय के मैदान में मेला आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने अपने पुत्र चौकीदार मो सलीम उर्फ गुड्डू को भार सौंप दिया है, जो पूरे नेम-निष्ठा के साथ पूजन कार्यक्रम के संचालन की देखरेख करते हैं. पूजा समिति की कमेटी भी गठित की गयी है. जिसमें अध्यक्ष सच्चिदानंद यादव, सचिव मुकेश कापरी, कोषाध्यक्ष भोला प्रसाद यादव, मेला संरक्षक सह शिक्षक चिरंजीवी कुमार, पंडित सुरेश मिश्रा, सदस्य श्रीकुमार, मदन कुमार यादव, नित्यानंद यादव, राम यादव, रामनरेश यादव, फुलेश्वर यादव, प्रमोद यादव आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं.
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