बेलहर : प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत खड़ौदा गांव में शिवगुरु राइस मिल पर बुधवार को अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में की गयी छापामारी में लगभग 460 बोरा चावल जब्त किया गया. बाद में एसडीओ ने प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है.
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छापेमारी में 460 बोरा अरवा चावल जब्त
बेलहर : प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत खड़ौदा गांव में शिवगुरु राइस मिल पर बुधवार को अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में की गयी छापामारी में लगभग 460 बोरा चावल जब्त किया गया. बाद में एसडीओ ने प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है. जानकारी के अनुसार गुप्त सूचना के आधार […]
जानकारी के अनुसार गुप्त सूचना के आधार पर एसडीओ मनोज कुमार चौधरी ने बेलहर सीओ नरेंद्र कुमार एवं आपूर्ति पदाधिकारी रामप्रसाद साह, धोरैया एमओ उमाकांत शर्मा के साथ खड़ौदा गांव स्थित शिव गुरु राइस मील पर छापामारी किया.
छापामारी के क्रम में मील से लगभग 460 बोरा अरवा चावल मील के ट्रेडमार्क बोरा में पाया गया. इस संबंध में अंचलाधिकारी नरेंद्र कुमार ने बताया कि खड़ौदा गांव के अवधेश सिंह के द्वारा सरकारी अरवा चावल का भंडारण एवं कालाबाजारी करने की सूचना अनुमंडलाधिकारी को मिली थी. छापामारी में जब्त चावल को थाना लाया गया है.
सनद रहे कि 3 माह पूर्व भी इस राइस मील से अनुमंडलाधिकारी के द्वारा 828 बोरा सरकारी अरवा चावल एक कंटेनर ट्रक पर कालाबाजारी करने के क्रम में जब्त किया गया था. जिसके बाद मील मालिक पर सरकारी अरवा चावल का अवैध भंडारण एवं कालाबाजारी करने का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
अब भी कई मिलरों के पास जमा है बड़ी मात्रा में सरकारी अनाज
बांका. बेलहर के खड़ौधा स्थित शिव गुरु राइस मिल से जब्त किये गये सरकारी अरवा चावल 460 बोरा केवल एक बानगी है. दरअसल, जिले भर में सरकारी अनाज का बड़े पैमाने पर कालाबाजी व अवैध रूप से स्टॉक है. अगर सतही जांच हो तो गरीब का चावल कहां-कहां और कितनी मात्रा में जमा है, इसका खुलासा हो जायेगा.
सूत्र के मुताबिक बाराहाट, रजौन, बांका, अमरपुर, फुल्लीडुमर व बेलहर में बड़े पैमाने पर अब भी सरकारी अनाज दबा हुआ है. यहां मिलर, एजीएम व डीलर की मिलीभगत से यत्र-तत्र अनाज को जमा कर बेचा जाता है. ज्ञात हो कि जिले में लगातार सरकारी अनाज जमा व व्यापार करते हुए मुख्य, ग्रामीण मार्ग के साथ मिलों से जब्त किया गया है.
परंतु इसमें निरंतर जांच की आवश्यकता है. बताया जाता है कि अक्सर कालाबाजारी का अनाज रात के अंधेरे में बेचा जाता है. कालाबाजारी का अनाज आम उपभोक्ताओं से काटकर जमा किया जाता है. इसमें डीलर की भूमिका सबसे अधिक संदेहपूर्ण है. जबकि अरवा चावल की काबाजारी की शिकायत पूर्व में भी कई बार आ चुकी है. उपभोक्ताओं का कहना है कि अरवा चावल नहीं के बराबर दिया जाता है.
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