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रिगा की लाचारी, कंधे पर साइकिल की सवारी

समस्या . आज भी सड़क की बाट जोह रहे ग्रामीण सूबे की सरकार प्रत्येक गांव में पक्की सड़क निर्माण की बात कही थी. प्राय: क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से लेकर मुख्यमंत्री तक कई सभाओं में ऐसी घोषणाओं की झड़ी लगती रहती है. लेकिन, हकीकत व भाषण में व्यापक अंतर है. बांका : जिला मुख्यालय से महज तीन […]

समस्या . आज भी सड़क की बाट जोह रहे ग्रामीण

सूबे की सरकार प्रत्येक गांव में पक्की सड़क निर्माण की बात कही थी. प्राय: क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से लेकर मुख्यमंत्री तक कई सभाओं में ऐसी घोषणाओं की झड़ी लगती रहती है. लेकिन, हकीकत व भाषण में व्यापक अंतर है.
बांका : जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर पर स्थित रिगा गांव शासन-प्रशासन को आइना दिखाने के लिए काफी है. जानकारी के मुताबिक आजादी के बाद अबतक इस गांव में एक अदद पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. नतीजतन, करीब दो हजार आबादी वाला यह गांव बरसात आते ही भारी संकट के बीच घिर जाती है. प्रभात खबर ने मंगलवार को गांव की स्थिति का जायजा लिया. गांव पहुंचते ही देखा गया कि छात्र नीतीश कंधे पर साइकिल लिए गांव की सड़क से बाहर निकल रहा है. ऐसी स्थिति गांव की दुर्दशा बताने के लिए काफी थी. छात्र नीतीश ने कहा कि विकास किसे कहते हैं, उन्हें मालूम नहीं है.
सरकार लाख दावे करे, यदि कोई व्यक्ति गांव से बाहर निकलने में ऐसी परेशानियों का सामना करता है तो विकास की बात चुभती है. जानकारी के मुताबिक आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद रिगा जैसे कई गांव में आजतक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका. मानसून के मौसम में करीब तीन महीने तक सड़क पर पैदल चलना खतरों से खाली नहीं है. अक्सर लोग कीचड़युक्त सड़क में फिसल कर गिर जाया करते हैं. यहां के बुजुर्ग व दर्जनों महिलाएं इस दरम्यान जिला मुख्यालय आने की सोच को दफन कर देते हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण राहुल कुमार, प्रवीण कुमार, नीतीश कुमार, गौतम कुमार सहित अन्य का कहना है कि सड़क नहीं रहने की वजह से भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. कीचड़मय सड़क पैदल चलना भी मुश्किल भरा है. शासन-प्रशासन से अनुरोध है कि यथाशीघ्र एक सड़क का निर्माण करा दें.
ग्रामीणों की मानें तो रिगा गांव में सड़क निर्माण कार्य की आधारशिला रखी गयी थी. मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत निर्माण कार्य की शुरुआत कुछ वर्ष पूर्व की गयी थी. ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक ने मात्र मिट्टी डाल कर सड़क निर्माण कार्य की लीपा-पोती कर दी. अलबत्ता यही मिट्टी ग्रामीणों के सामने समस्या बनकर उभर गयी. आलम यह है कि बारिश की हल्की बूंद से मिट्टी कीचड़ के रूप में तब्दील हो गयी है. आज लोग पैदल भी इस सड़क पर नहीं चल पा रहे हैं.

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