दाउदनगर. दाउदनगर प्रखंड के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में कई बाजार विकसित हो रहे हैं. एक प्रकार से अस्थाई बस स्टैंड भी रहता है, जहां यात्री बसें एक-दो मिनट के लिए रुकती हैं. आसपास के ग्रामीण इलाकों से लोग बाजार करने आते हैं. इन्हीं में एक रेपुरा बाजार भी शामिल है, जिसे रेपुरा बस स्टैंड के नाम से भी जाना जाता है. दाउदनगर-गोह-गया मुख्य मार्ग 120 पर यह बाजार स्थित है. यहां पर रोजमर्रा की वस्तुओं की सैकड़ों दुकानें हैं. सब्जी बाजार भी है. चाय-नाश्ते का होटल भी है. सुबह से लेकर रात तक लोगों का आवागमन होता है, लेकिन इस स्थान पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय और पेयजल की सुविधा नहीं है. बस स्टॉप की सुविधा नहीं है. यात्रियों को सड़क किनारे खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है .25-30 वर्ष पहले यात्री शेड का निर्माण कराया गया था, जो जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. सार्वजनिक पेयजल की सुविधा नहीं है. सिंदुआर और मनार पंचायत के विभिन्न गांवों से ग्रामीणों का आवागमन होता है. ओबरा प्रखंड के गैनी, अरी, दाउदनगर प्रखंड के बुकनापुर, एकौनी, देवदतपुर, दौलतपुर, राम बिगहा, ममरेजपुर, नवरतन चक आदि गांवों के ग्रामीणों के लिए यह छोटा-मोटा बेहतर बाजार है, जहां लोगों का आगमन होता है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि लगभग दो हजार से भी अधिक ग्रामीणों का आवागमन प्रतिदिन होता है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण असुविधा झेलनी पड़ती है. यहां तक कि रात होते ही पूरा इलाका अंधेरे में तब्दील हो जाता है. काफी लंबे समय से हाई मास्ट लाइट लगाने की मांग की जा रही है. इस ओर भी किसी का ध्यान नहीं है. ग्रामीण एवं प्रधानाध्यापक श्रीनिवास मंडल ने कहा कि रेपुरा बाजार विकसित हो रहा है. लगभग ढाई सौ से 300 दुकान स्थित हैं और रात होते ही पूरा इलाका अंधेरे में तब्दील हो जाता है. बाजार में अच्छी खरीद-बिक्री भी होती है, लेकिन बैंकिंग की सुविधा का भी अभाव है. ग्रामीण एवं प्रधानाध्यापक रामाकांत सिंह का कहना है कि रेपुरा बाजार में लगभग सभी प्रकार की दुकानें हैं. लगभग 2000 से भी अधिक लोगों का आवागमन होता है. दो बैंकों का सीएसपी है. अगर एक एटीएम की व्यवस्था हो जाये तो बैंकिंग प्रणाली में सुधार हो सकता है और ग्रामीणों को पैसा निकासी में सुविधा होगी. सार्वजनिक शौचालय व पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए. यात्री शेड की व्यवस्था होनी चाहिए. ग्रामीण एवं शिक्षक अंबुज कुमार सिंह का कहना है कि रेपुरा बाजार का इतिहास लगभग तीन दशक पुराना है. अब बाजार विकसित हो गया है. शौचालय पेयजल आदि मूलभूत सुविधा का अभाव है. रेपुरा स्टैंड पर हाई मास्ट लाइट की आवश्यकता है. बाजार में रात में चोरी की छोटी-मोटी घटनाएं भी होती हैं. इस पर भी अंकुश लगाने के लिए सुरक्षात्मक पहल किये जाने की आवश्यकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है