दाउदनगर.
शमेरनगर स्थित सुरेश पांडेय के आवास पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सुनाते हुए श्री श्री 1008 स्वामी रामप्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि संसार का निर्माण करने वाले एकमात्र परमात्मा हैं. संसार की व्यवस्था को ठीक से चलने का दायित्व भगवान अपने ऊपर रखते हैं. इसलिए संसार का निर्माण संसार की व्यवस्था और अंत में संसार का उपसंहार भगवान के हाथों में है. इनमें गुरुओं के प्रधानता होती है, जिस प्रकार वृक्ष में पतझड़ होता है और नए पत्ते निकलते हैं, उसी प्रकार भगवान नयी सृष्टि का निर्माण करते हैं. भगवान संसार की व्यवस्था को सुदृढ़ व सुव्यवस्थित करने के लिए समय-समय पर आया करते हैं, जिसे हम अवतार कहते हैं. ऐसे भगवान के अवतार अनंत हुए हैं. श्रीमद्भागवत में ऐसे 24 अवतार की चर्चा है. 22 का तो प्रत्यक्ष है. त्रेता युग में भगवान श्री राम और द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण हमारे मानवीय जीवन को सुदृढ़, मजबूत व व्यावहारिक बनाने में सामर्थ माने जाते हैं. इन दोनों अवतार में भगवान ने मनुष्य को कब और किस परिस्थिति में क्या करना चाहिए, स्वयं करके दिखाया है. मानव को प्रबुद्ध व प्रशिक्षित बनाया है. चेतन को विकसित किया है. यही भागवत का सिद्धांत है. सर्व समर्थ भगवान के पास शक्ति है, लेकिन में शक्ति का प्रदर्शन नहीं मात्र करते हैं. संसार की व्यवस्था को सुधरी करने के लिए स्वयं उतरकर आते हैं. ऐसे भगवान के हर अवतार की चर्चा श्रीमद्भागवत में है. लेकिन भगवान श्री कृष्ण की लीला प्रधान है. आयोजक सुधीर पांडेय ने बताया कि पांच अप्रैल तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन होगा. छह अप्रैल को भंडारे के साथ पूर्णाहुति होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

