फोटो नंबर-1- खेत में लगी बैगन की फसल प्रतिनिधि, हसपुरा. जाड़ा, गर्मी और बरसात तीनों मौसमों में अलग-अलग किस्म की बैगन की खेती प्रखंड के अहियापुर, ईटवां, पीरू, हैबसपुर सहित आसपास के कंचन नगर, अमृत नगर, जगदेव नगर, फतेहगंज, बरैलीचक, डुमरा समेत अन्य गांवों में बड़े पैमाने पर की जाती है. किसान बताते हैं कि दशहरा और लगन के समय बाजार में बिक्री के लिए आने वाले बैगन की कीमत अच्छी मिलती है, जिससे उन्हें बेहतर मुनाफा होता है. किसानों के अनुसार बरसात और गर्मी के मौसम में फल देने वाली बैगन की खेती में नुकसान की आशंका अधिक रहती है. ऐसे में बरसाती बैगन की रोपाई जून-जुलाई में, जाड़े की बैगन नवंबर माह में और गर्मी की बैगन फरवरी में करना अधिक लाभदायक माना जाता है. किसानों ने बताया कि ब्लैक ब्यूटी, इतावली, एशियाई, सबोर और राजेंद्र किस्म की बैगन बेहतर उत्पादन देती हैं. बैगन की खेती कर रहे जयगोविंद प्रसाद, विजय कुशवाहा, जदुनंदन सिंह, रामेश्वर महतो, कैलाश कुशवाहा, कामता प्रसाद और सियाराम सिंह का कहना है कि सबसे बड़ी परेशानी तब होती है, जब बैगन के पौधों में सुखड़ा बीमारी लग जाती है. यह बीमारी पौधों को पूरी तरह सुखा देती है और इसे बचाने में कीटनाशक दवाइयां भी अक्सर नाकाम साबित होती हैं.
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