885515 प्लॉट का सर्वे करने के लिए लगाये गये 273 सर्वेयर
प्लॉट में लगी फसल की सटीक जानकारी मिलने से योजनाओं के लिए लक्ष्य निर्धारण में होगी आसानीऔरंगाबाद/कुटुंबा. डिजिटल क्रॉप सर्वे एक आधुनिक तकनीक प्रणाली है. इसके माध्यम से कृषि भूमि और फसलों के सटीक अद्यतन और पारदर्शी डेटा बेस तैयार किया जाना है. ये बातें डीएओ संदीप राज ने कही. वे संयुक्त कृषि भवन में संबंधित विभाग के कर्मियों को ट्रेनिंग दे रहे थे. उन्होंने बताया कि किस प्लॉट में हाल में कौन सी फसल लगायी गयी है, डिजिटल क्रॉप सर्वे के तहत यह जानकारी एकत्रित की जायेगी. प्रत्येक प्लॉट के फसल की सटीक जानकारी मिलने से सरकार को किसान हित के अनुरूप योजना बनाने और संसाधनों को वितरित करने में सहूलियत होगी. जरूरतमंद किसानों को सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का भरपूर लाभ मिलेगा. उन्होंने बताया कि किसानों को अपनी उपज से दोगुनी आमदनी करने के लिए नित्य नये-नये प्रयोग किये जा रहे है. सर्वे के दौरान सर्वेयर किसान के हर प्लॉट पर जाकर देखेंगे कि किस प्लॉट में फसल लगायी गयी है व कौन सा प्लॉट खाली रह गया है. डीएओ ने बताया कि डिजिटल सर्वे के लिए जीपीएस मोबाइल ऐप और डिजिटल मैप का उपयोग किया जाना है. सर्वेयर मोबाइल ऐप के माध्यम से प्रत्येक प्लॉट पर जायेंगे. इस दौरान किसान से पूछताछ करना कोई मायने नहीं रखता है. जीपीएस लोकेशन से खेती की स्थिति व उसके सीमाओं का ऑनलाइन रिकार्ड दर्ज किया जायेगा. उन्होंने बताया कि जीपीएस लोकेशन से यह स्वतः क्लियर हो, किस डिमांड धारी किसान का यह प्लॉट है. हर प्लॉट का यूनिक आइडी व क्षेत्रफल मैप में उपलब्ध रहता है. इस दौरान कृषि कर्मियों को प्रोजेक्ट डिसप्ले के तहत कृषि कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया.
26 सितंबर तक पूरा करना है सर्वे कार्य
डीएओ ने बताया कि विभिन्न प्रखंडों के 1560 गांव के आठ लाख 85 हजार 515 प्लॉट का डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाना है. इसके लिए बीटीएम, एटीएम, कृषि कोऑर्डिनेटर से लेकर सलाहकार आदि 273 कृषि कर्मी सर्वेयर के रूप में लगाये गये है. उन्हें हर हाल में 26 सितंबर तक सर्वे कार्य को पूरा कर देना है. ट्रेनिंग के क्रम में डिजिटल क्रॉप सर्वे के ट्रिक्स बताये गये. डीएओ ने मोबाइल ऐप चलाकर सैद्धांतिक के साथ व्यावहारिक बातें बतायी. उन्होंने बताया कि प्रखंड स्तर पर बीएओ, अनुमंडल स्तर पर एसएओ और जिला स्तर पर जिला कृषि पदाधिकारी डिजिटल सर्वे की मॉनीटरिंग करेंगे. विदित हो कि सर्वे के दौरान खेत में लगी फसल, रोपाई बुआई की तिथि किस्म व अनुमानित उत्पादन भी दर्ज की जा सकती है. डेटा को केंद्रीकृत डेटा बेस में स्टोर कर विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है. प्रखंड वार चरणबद्ध प्रशिक्षण में दर्जनों कर्मी शामिल हुए.मिट्टी के अनुसार प्रभेद लगाने में मिलेगी मदद
रिटायर्ड कृषि पदाधिकारी रामचंद्र सिंह के साथ अनुभवी किसान शिवनाथ पांडेय ने डिजिटल क्रॉप सर्वे को सराहनीय पहल बताया. कहा कि किसानों को विशिष्ट योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए सरकार हर प्लॉट का डिजिटल फसल क्रॉप सर्वे करा रही है. इससे किसानों को वास्तविक योजनाओं का लाभ लेने में सहूलियत होगी. डिजिटल क्रॉप सर्वे से मिट्टी के अनुसार प्रभेद लगाने में मदद मिल सकती है. उन्होंने बताया कि अंधाधुंध उर्वरक के प्रयोग होने से यूरिया खरीदने के लिए मारामारी होती रहती है. डिजिटल सर्वे के बाद खेत में लगी फसल के अनुरूप उर्वरक का आवंटन किया जायेगा. ऐसे में भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण नहीं होगी. वहीं खाद की कालाबाजारी पर स्वतः नियंत्रण स्थापित होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

