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अनुभव के रंग, यादों के संग पुस्तक का हुआ लोकार्पण

पृथ्वीराज चौहान ट्रस्ट के सभागार में औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में साहित्यकार रामनाथ सिंह रमा रचित पुस्तक अनुभव के रंग, यादों के संग पुस्तक का लोकार्पण किया गया

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औरंगाबाद नगर. शहर के ब्लॉक मोड़ स्थित पृथ्वीराज चौहान ट्रस्ट के सभागार में औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में साहित्यकार रामनाथ सिंह रमा रचित पुस्तक अनुभव के रंग, यादों के संग पुस्तक का लोकार्पण किया गया. डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का संचालन महामंत्री धनंजय जयपुरी ने किया. मुख्य अतिथि के रूप में सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुधीर मिश्र, जिला पर्षद उपाध्यक्ष किरण सिंह, पंचदेव धाम चपरा के संस्थापक अशोक कुमार सिंह, समकालीन जवाबदेही के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, आरएनपी ग्रुप के संस्थापक शंभुनाथ पांडेय, साहित्यकार प्रेमेंद्र मिश्र इत्यादि ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया. शंभुनाथ पांडेय ने कहा कि संगीत और साहित्य के बिना समाज का यथोचित विकास संभव नहीं. उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार मिथिलेश मधुकर के नाम से पुस्तकालय की स्थापना किये जाने की चर्चा भी की. शिक्षिकि प्रियंका पांडेय ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है. डॉ संजीव रंजन व डॉ ज्ञानेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि साहित्य की सेवा करने वाला समाज का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है. प्रेमेंद्र मिश्र ने कहा कि साहित्य रचनाकार को अमरत्व प्रदान करता है. शिवपूजन सिंह व सूर्यपत सिंह ने लोकार्पित पुस्तक की प्रशंसा की. डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि इंटरनेट के जमाने में आपने जो पुस्तक के रूप में जो परोसा है वह सराहनीय है. हमें किताबें ही नहीं व्यक्तियों को भी पढ़ना चाहिए. डॉ रामाधार सिंह ने कहा कि पर्यावरण के बिना साहित्य अधूरा है. जिला पर्षद की उपाध्यक्ष किरण सिंह ने कहा कि वर्षों साधना करने के पश्चात किसी पुस्तक का सृजन हो पाता है. मुख्य अतिथि डॉ सुधीर मिश्र ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण एवं दर्शन होता है, साथ ही साहित्य लेखन एक साधना भी है. लेखक ने अपनी किताब में अपने जीवन के अनुभवों को पिरोया है. अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने देश के उन वीर सैनिकों जो भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हो गये हैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. कवि ब्रह्मा के समान होता है, वह अपनी रचनाओं के माध्यम से सृष्टि करता है. संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी द्वारा आगत अतिथियों का स्वागत किया गया किया. मौके पर पुरुषोत्तम पाठक, अधिवक्ता कमलेश कुमार सिंह, कवि विनय मामूली बुद्धि, रामभजन सिंह, जलज जी, अनुज बेचैन, चंद्र प्रकाश विकास, जगदीश सिंह, सुमन अग्रवाल, सुमन लता, सोमनाथ, चंदन कुमार सहित अन्य उपस्थित थे. कवि नागेंद्र केसरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

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