औरंगाबाद/कुटुंबा. अवैध आरा मिल संचालकों को सुंदर वाग-वन व बगीचे को उजाड़ना महंगा पड़ रहा है. इनके खिलाफ वन विभाग की टीम पूरी सख्ती के साथ कार्रवाई कर रही है. बुधवार की सुबह वन विभाग की टीम ने माली थाना क्षेत्र के चार गांवो में बारी-बारी से छापेमारी कर चार आरा मशीनों को सील कर दिया है. ईंटवा गांव में अवैध रूप से संचालित किये जा रहे सीताराम शर्मा के आरा मशीन को सील किया गया. इसके बाद नवीनगर प्रखंड के जमुआवां गांव में राजेश शर्मा, चरण गांव में अनुज शर्मा तथा साया परसा गांव के संजीत शर्मा का आरा मिल सील किया गया. उक्त कार्रवाई डीएफओ रुचि सिंह के निर्देश पर की गई है. उन्होंने बताया कि विभाग को गुप्त रूप से सूचना मिली कि उक्त क्षेत्र में बगैर लाइसेंस के आरा मिल का संचालन किया जा रहा है. इसके बाद सूचना के सत्यापन के लिए एक टीम गठित कर छापेमारी शुरू कर दी गयी, तो हकीकत का खुलासा हुआ. टीम में वन प्रक्षेत्र महाराजगंज के आरओएफ अविनाश कुमार, टंडवा के वनपाल निरंजन कुमार व वनरक्षी प्रशांत कुमार, सूरज कुमार, मिथिलेश कुमार, रिंकू कुमारी व संतोष कुमार आदि दर्जनों की संख्या में कर्मी शामिल थे. टीम में शामिल अधिकारी अचानक आरा मिल पर पहुंचे और लकड़ी चिराई से संबंधित उपकरणों को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया. हालांकि, टीम पर नजर पड़ते के साथ हीं मिल मालिक और उनके मिस्त्री-मजदूर वहां से फरार हो गये. अधिकारियों ने बताया कि अवैध ढंग चलाये जा रहे अन्य आरा मिलों को चिह्नित किया जा रहा है. वैसे इस मामले में आरा मशीन मालिक के विरुद्ध बिहार कास्ट चिरान विनिमय अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. इधर, वन विभाग की इस कार्रवाई से आरा मशीन संचालकों में हड़कंप मचा है.
अवैध आरा मिल संचालकों के उत्पात से उजर रहे बाग-बगीचे
अवैध आरा मिल संचालकों व लकड़ी कारोबारियों की हरकत से धरती से पेड़-पौधे समाप्त हो रहे है. वे बगैर वन विभाग से परमिशन लिए धड़ल्ले से पेड़ो की कटाई कर रहे हैं. सुदूर ग्रामीण इलाके में हरे-भरे पेड़ों की कटाई होने से पेड़ों की संख्या में अप्रत्याशित कमी आयी है. ऐसे में आम जन जीवन संकट के दौर से गुजर रहा है. धरती से हरियाली समाप्त हो रही है. बेझिझक पेड़ो की कटाई होने से प्रकृति की निगाहें क्रूर होती चली जा रही है. मॉनसून का कोई ठौर-ठिकाना नहीं रह गया है. जलवायु परिवर्तन में अनिश्चिता आ गयी. विपरीत मौसम के प्रभाव से जैव विविधताओं के जीवन चक्र पर खतरा मंडराने लगा है. यहां तक कि लकड़ी माफिया वायुमंडल में भरपूर ऑक्सीजन प्रदान करने वाले आम बरगद व पिपल आदि पेड़ों को विहीन करने में दिन-रात एक किए हुए हैं. कुटुंबा विधान सभा क्षेत्र के टंडवा, बेला गजना गांव की ओर दर्जनों अवैध आरा मिल संचालित किये जा रहे हैं. इसकी जानकारी विभाग को पहले नहीं थी. अब उधर भी कार्रवाई होने वाली है.सरकारी राजस्व का हुआ नुकसान
विश्वस्त सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार पलामू जिले के माफिया जंगली इलाकों से मंहगे लकड़ी की कटाई कर चोरी-छिपे वहां से इधर लाते हैं. सेंटिग के तहत आरा मिल मालिक उनसे औने-पौने दामों में लकड़ी खरीद लेते हैं. इसके पश्चात अवैध मशीन से चिराई कर फर्नीचर तैयार कर महंगे बेचते है. बुद्धिजीवियों का मानना है कि अवैध आरा मिल संचालन होने से सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. विदित हो कि कुटुंबा थाना क्षेत्र कठरी व नवीनगर प्रखंड के अमौना गांव में कई ऐसे लोग है, जो सेंट्रिंग का धंधा करने के लिए अब तक सैकड़ों पीपल के वृक्ष को धाराशाई कर चुके हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है