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कलाकारों व स्थानीय संस्थाओं को होगा फायदा
औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद का नगर भवन आधुनिक नगर भवनों की श्रेणी में आ चुका है. पूरा नगर भवन वातानुकूलित तो है ही. इसका स्वरूप इतना आकर्षक और आनंददायक है, जिसकी कल्पना एक छोटे शहर के लोग तो नहीं ही कर सकते हैं. बाहर से इसका स्वरूप एक छविगृह के रूप में दिख रहा है. […]
औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद का नगर भवन आधुनिक नगर भवनों की श्रेणी में आ चुका है. पूरा नगर भवन वातानुकूलित तो है ही. इसका स्वरूप इतना आकर्षक और आनंददायक है, जिसकी कल्पना एक छोटे शहर के लोग तो नहीं ही कर सकते हैं. बाहर से इसका स्वरूप एक छविगृह के रूप में दिख रहा है. हॉल के चारों ओर खुली जगह हैं. हॉल के अंदर के भाग आकर्षक रंगों से सजाया-संवारा गया है. ऊपरी भाग को सीलिंग कर उसमें चार-चार कैसेट एसी लगाये गये हैं.
चारों तरफ दीवार में भी एसी लगाये गये हैं. अंदर के भाग में विशालकाय मंच है. ऊपरी भाग में सुंदर सी बालकोनी है. इसमें चमचमाती कुर्सियां लगी हैं. दीवार के संपूर्ण भाग में हरे रंग के कारपेट लगाये गये हैं, जिससे अंदर का भाग हरा-हरा दिखता है. ऊपरी भाग में अनेकों चमकीली लाइट लगी हैं, जो एक साथ जलने पर पूरा भवन दुधिया रोशनी में नहा उठता है. अंदर के भाग में शहर के प्रमुख स्थल जैसे गांधी मैदान, सूर्य मंदिर देव, एनपीजीसी, बीआरबीसीएल, रमेश चौक का चित्र लगे हैं. ये चित्र दरशाते हैं कि यह शहर कहां है और विकास के दौर में किस तरफ आगे बढ़ रहा है.
चार अगस्त को निश्चय किया था, नगर भवन को बनाउंगा आकर्षक: डीएम
नगर भवन को आधुनिक बनाने का संकल्प जिला पदाधिकारी कंवल तनुज ने चार अगस्त को लिया था. जिलाधिकारी ने बताया कि चार अगस्त को ही नगर भवन में ‘प्रभात खबर’ का ‘प्रतिभा सम्मान समारोह’ था. जब मैं पहुंचा तो देखा कि भवन के भीतर बैठे बच्चे कागज के टुकड़े और रूमाल से अपने पसीने को पोंछ रहे हैं. जब हमारी नजर मंच पर गयी, तो कला का प्रदर्शन कर रहे बच्चे पसीने से लथपथ थे. इसके बावजूद उनके उत्साह में कोई कमी नहीं थी.
उसी वक्त हमने संकल्प लिया कि नगर भवन में आनेवाले कोई भी बच्चे चाहे, वे दर्शक हों या कलाकार किसी के बदन से पसीना नहीं निकलेगा, बल्कि वे आनंद का अनुभव करेंगे. इसी संकल्प को पूरा करने के लिए हमने श्रीसीमेंट उद्योग को आमंत्रित किया. उद्योग ने इसका स्वरूप संवारने के लिए खामी भर दी और मुझे खुशी है कि यह राज्य का आधुनिक नगर भवनों की श्रेणी में खड़ा हो चुका है.
चार माह में बन गया आधुनिक नगर भवन : नगर भवन के स्वरूप को निखारने में मात्र चार माह का समय लगा है. इतने कम समय में इसका स्वरूप इतना सुंदर बन जायेगा, यह किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. कल्पना भी की जाती तो कैसे, किसी भी कार्य को या किसी भी भवन को बनाने के लिए चार माह का समय, तो टेंडर प्रक्रिया में व्यतीत हो जाते. इसके बाद कार्य प्रारंभ होने में कई माह लग जाते हैं. लेकिन इसमें तो न टेंडर होना था और न कार्य प्रारंभ करने के लिए समय बिताना था. जब सब कुछ अनुकूल था, तो समय भी कम लगा.
अत्याधुनिक ऑडियो सिस्टम से लैस है यह हॉल : नगर भवन में आधुनिक ऑडियो सिस्टम लगे हैं. इससे यहां होनेवाले कार्यक्रम की आवाजें मधुर सुनाई देंगी. पूरे हॉल से एक जैसी आवाज निकलेंगी.
जो भी जहां बैठा है, उसे यह महसूस होगा कि यह कार्यक्रम मेरे समीप हो रहा है. आधुनिक ऑडियाे सिस्टम लगाने के लिए जौनपुर की टीम आई थी. इस टीम ने पूरी दीवार को ऐसा सजाया है कि मंच से निकलनेवाली आवाज की प्रतिध्वनि गूंजती नहीं है. पहले इसमें जब भी कार्यक्रम होते थे, तो आवाजें दीवार से टकराती थीं. इसके सौंदर्यीकरण में इसका काफी ख्याल रखा गया. नगर भवन में कार्यक्रम आयोजित करना अब पहले से ज्यादा मजदेार होगा.
सिलिंग में लगे हैं सभी सिस्टम : नगर भवन के उपरी भाग में कैसेट एसी के साथ-साथ साउंड सिस्टम, लाइट लगाये गये हैं. ऊपर का भाग वैसे तो उजले रंगो में है, लेकिन जब रंग-बिरंगे लाइट जलती हैं, तो अनेकों प्रकार की रोशनी एक साथ नीचे उतरती है और पूरा हॉल रंग-बिरंगी रोशनी में नहाता हुआ दिखाई पड़ता है.
चिकित्सकों के तबादले व प्रोमोशन ने फंसाया, तो सदर अस्पताल की किरकिरी ने रुलाया
अक्सर पुराना वर्ष कुछ न कुछ यादे छोड़ जाता है, इनमें कुछ खट्टी तो कुछ मीठी यादें शामिल होती हैं. साल 2016 में औरंगाबाद का सदर अस्पताल भी सुर्खियों में रहा.
ओम प्रकाश प्रीत
औरंगाबाद : सदर अस्पताल अपनी कुव्यवस्था को लेकर वर्ष 2016 में खुब सुर्खियां बटोरी.कभी चिकित्सकों के तबादले को लेकर अस्पताल चर्चा में रहा तो कभी सिविल सर्जन के मनमानी के कारण अस्पताल हंगामे की भेंट चढ़ा.
यही नहीं वर्ष 2016 में ऐसे कई मामले सदर अस्पताल में घटित हुए,जिससे अस्पताल की प्रतिष्ठा पर उंगलियां उठी और पदाधिकारियों की गलती का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा.ऐसे दौर में अस्पताल में कभी आंदोलन का दौर चला, तो कभी चिकित्सक पदाधिकारियों की मनमानी के कारण नाराज हुए.
अल्ट्रासाउंड के मामले में लिपिक हुआ निलंबित
इसी वर्ष पूरे जिले में अल्ट्रासाउंड का मामला बड़ा तूल पकड़ा. जिले में अवैध रूप से चल रहे अल्ट्रासाउंड के मामले पर जिलाधिकारी गंभीर हुए. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण ठीक से जांच नहीं हो पा रही थी, जिसके कारण अवैध अल्ट्रासाउंड चल रहे थे.ऐसे में जब अल्ट्रासाउंड केंद्र की जांच का फरमान डीएम ने सुनाया, तो एक बार फिर सीएस सुर्खियों में आये. सीएस से स्पष्टीकरण पूछा गया. मामले में सदर अस्पताल के लिपिक मो वाहिद अख्तर को निलंबित भी किया गया.
प्रोन्नति मामले में सीएस को लगी फटकार
सदर अस्पताल में अचानक से बड़े पैमाने पर चिकित्सा कर्मियों का सिविल सर्जन डाॅ आरपी सिंह द्वारा स्थानांतरण किये जाने के मामले पर वर्ष 2016 में खूब बवाल मचा. इस मामले में सीएस ने अपने मनमर्जी से नियम को ताक पर रख कर कई कर्मियों को प्रमोशन भी दिया,जिसके बाद भड़के चिकित्सा कर्मी ने लगभग एक माह तक सदर अस्पताल के कार्यकलाप को बाधित किया. चिकित्सा कर्मियों ने सीएस कार्यालय के समक्ष धरना दिया और इस मनमानी के विरूद्ध जिलाधिकारी से भी मिले,फिर इस मामले में जिलाधिकारी ने तहकीकात कर इसके लिये एक टीम गठित की और सीएस के आदेश को रद किया.जून माह में घटी यह घटना से अस्पताल काफी सुर्खियों में रहा.
एचआइवी पीड़ित मरीज बनी सुर्खियों का कारण
सदर अस्पताल अगस्त 2016 में एक बार फिर से सुर्खियों में आया. जब एक एचआइवी पीड़ित महिला अपने प्रसव के लिये सदर अस्पताल पहुंची तो उसे एक ऐसे महिला चिकित्सक का कोपभाजन होना पड़ा,जो नारी रहते हुए नारी का दुख नहीं समझ सकी. सदर अस्पताल के महिला चिकित्सक ने एचआइवी पीड़ित महिला को इलाज तो क्या उसे छूने तक से इनकार कर गयी, जिसके बाद यह मामला काफी सुर्खियाें में रहा.
चिकित्सकों की कमी से होता रहा हंगामा
सदर अस्पताल चिकित्सकों की कमी को लेकर हमेशा हंगामे की भेंट चढ़ा है,लेकिन वर्ष 2016 इसके लिये कुछ ज्यादा ही रहा. एक हजार मरीज पर दो चिकित्सक के भरोसे महीनो अस्पताल चला,जिसके कारण इलाज कराने अस्पताल के ओपीडी में पहुंच रहे मरीजों को काफी परेशानी हुई. कई बार अस्पताल में चिकित्सकों की कमी को लेकर मरीजों ने बवाल मचाये,पर अब भी इस मामले में अस्पताल गंभीर नहीं हुआ.
चोरी से फैली सनसनी
वर्ष 2016 जाते-जाते अस्पताल को एक बार फिर से सुर्खियों में लाया.सदर अस्पताल में बन रहे आइसीयू में अचानक से एक चोरी की घटना घटी. फिर यह घटना दो दिन बाद चोरों ने दोहराते हुए फिर से सदर अस्पताल में चोरी कर ली. इस चोरी की घटना से सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अस्पताल का खूब मजाक बना. दिसंबर माह में हुई यह चोरी के कारण अस्पताल में लगे सारे सुरक्षा कर्मियों को हटाते हुए नयी सुरक्षा व्यवस्था बहाल की गयी.
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