सल्तनत काल में देव इलाके का सूबेदार मीर कासिम था. उसने सूर्य मंदिर को विध्वंस करने के कई प्रयास किये, पर सफल नहीं हुआ. मीर कासिम का पुत्र अफजलुद्दीन को कुष्ठ था और उसका रोग उसी सूर्य कुंड तालाब में स्नान करने के बाद ठीक हुआ. बेटे की बीमारी ठीक होने के बाद मीर कासिम का हृदय परिवर्तन हुआ व अपनी योजना को त्याग कर भक्ति भाव में डूब गया. कहा जाता है कि औरंगजेब भी मंदिरों को ध्वस्त करते हुए देव पहुंचा था. उस वक्त देव सूर्य मंदिर का मुख पूरब दिशा की ओर था.
स्थानीय लोगों ने मंदिर ध्वस्त नहीं करने की गुहार लगायी. उस वक्त औरंगजेब ने शर्त रखी कि अगर मंदिर का मुख पूरब के बजाय पश्चिम हो जायेगा, तो वह अपनी योजना त्याग देगा. इसके लिए रात भर का समय दिया. पूरी रात लोगों ने भगवान पर आस्था व्यक्त की. इसका परिणाम हुआ कि मंदिर का मुख्य द्वार पूरब से पश्चिम हो गया. सुबह जब औरंगजेब को पता चला तो उसने हार मान ली और वहां से चला गया.