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यह गोशाला नहीं, मेन बाजार का नजारा

औरंगाबाद शहर : यह तस्वीर किसी गोशाला की नहीं है. बल्कि, शहर में लावारिस पशुओं के फैले आतंक की है. शहर में नासूर बनी जाम व अतिक्रमण जैसी समस्या की तरह ही इन दिनों बेसहारा पशु लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. ये पशु कहां से आते हैं और फिर कहां जाते हैं, […]

औरंगाबाद शहर : यह तस्वीर किसी गोशाला की नहीं है. बल्कि, शहर में लावारिस पशुओं के फैले आतंक की है. शहर में नासूर बनी जाम व अतिक्रमण जैसी समस्या की तरह ही इन दिनों बेसहारा पशु लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. ये पशु कहां से आते हैं और फिर कहां जाते हैं, यह कोई नहीं जानता. मेन बाजार समेत शहर के अन्य हिस्सों में इनका आतंक फैला हुआ है.

दर्जनों की संख्या में पुराने जीटी रोड के बीचोबीच ये अपना अड्डा जमा लेते हैं. इस कारण सब्जी मंडी समीप जाम की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है. इसके बाद वाहन चालक चाहे जितना भी हॉर्न बजा लें इन पर कोई असर नहीं होता. ये सड़क पर अपना कब्जा जमाये रहते हैं. कभी-कभी तो इन पशुओं के कारण वाहनों में टक्कर हो जाती है. जबकि, कभी-कभी वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त भी हो जाते हैं.
अब दफ्तरों में भी बढ़ रही इनकी पहुंच
बेसहारा पशुओं की तादाद इस कदर बढ़ गयी है कि ये अब सिर्फ सड़कों तक ही सीमित नहीं है. सरकारी दफ्तरों में भी इनकी पहुंच बढ़ रही है. सदर अस्पताल में ऐसा ही नजारा दिखा. टीकाकरण वार्ड वाले परिसर में एक पशु घुस चला आया और आराम से इधर-उधर घूमने लगा.
कभी टीकाकरण वार्ड में जाता, तो कभी बगल के वार्ड में. यह देख अस्पताल कर्मियों ने उसे एक बार वहां से भगाया. बाद में फिर से वापस आ गया. कई बार खदेड़ने के वावजूद उक्त पशु फिर से वहीं पहुंच जा रहा था. इसी तरह का नजारा डीइओ ऑफिस के परिसर में दिखा. बीएसएनएल कार्यालय की हालत भी ऐसी ही है. कहें तो दिन-प्रतिदिन बढ़ते लावारिस पशु लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गये है.

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