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दो दशक में भी नहीं बन पायी डेढ़ किमी जर्जर सड़क

कार्यादेश के बाद भी कोई सुगबुगाहट नहीं

कोईलवर.

कोईलवर नगर पंचायत के अतिव्यस्त और सबसे ज्यादा आबादी को सुविधा देनेवाली मुख्य सड़क आज दो दशकों से जर्जर है. इस सड़क पर डेढ़-दो फुट से अधिक के उबड़ खाबड़ गड्ढे हैं. लोगों का इस सड़क पर चलना मुश्किल है. लोग जनप्रतिनिधियों को कोस रहे हैं.

फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. हाल के दिनों में इस सड़क के पुनर्निर्माण को लेकर सुगबुगाहट भी तेज हुई, लेकिन ठेकेदार को कार्यादेश मिलने के लगभग तीन महीने बाद भी निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में ही है. अब लोग थक-हार कर 200-300 मीटर की दूरी को दूसरे रास्ते से लगभग तीन किलोमीटर चल कर तय कर रहे हैं और हाट बाजार जा रहे हैं.

नगर की आधी आबादी प्रभावितदो दशकों से सड़क के नहीं बनने से नगर की आधी आबादी बदतर स्थिति में है. नगर के 14 वार्डों में से सात वार्ड इस सड़क से सीधे जुड़े हैं. वार्ड 02, 03, 05, 06, 07, 08 और 10 के लोग इसी रास्ते से होकर चौक चौराहा, सब्जी बाजार से लेकर थाना, ब्लॉक, नगर कार्यालय, रेलवे स्टेशन और ऑटो स्टैंड तक जाते हैं. फिर भी यह सड़क दो दशकों से उपेक्षित है. हालात यह है कि इस सड़क में इतने गड्ढे हो गये हैं कि मोटर गाड़ी बाइक की कौन कहे पैदल चलना भी दूभर हो गया है. डेढ़ किमी लंबी यह सड़क कोईलवर चौक से मियांचक, हनुमतधाम, चिकटोली, बाजार मुहल्ला, काजी मुहल्ला,आजाद कला मंदिर, बिहार डक फॉर्म, आरएएफ मुख्यालय होते हुए मानसिक अस्पताल के मुख्य द्वार तक जाती है. स्कूल बसों ने बदला रास्ताबरसात के इस मौसम में इस सड़क पर उभरे गड्ढे में पानी के भर जाने से गड्ढों को पहचानना मुश्किल हो गया है. कई बार स्कूली बस इन गड्ढों में फंसकर खराब हो गयीं, जिसके बाद बच्चों को इस जलजमाव वाले पानी में उतरकर पैदल घर आना पड़ा. नतीजतन स्कूली बसों ने इस सड़क से आना छोड़ दिया है. अब बच्चों के अभिभावक बच्चों को लेकर घर से एक डेढ़ किमी दूर कोईलवर चौक पहुंचते हैं, जहां से स्कूल बस में बैठकर बच्चे स्कूल जाते हैं. सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग और महिलाओं के साथ-साथ मरीजों को होती है. इधर त्योहार का सीजन शुरू होते ही मंदिरों में पूजा-अर्चना करने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है. इस सड़क पर आधा दर्जन मंदिर और दो मस्जिद हैं, जहां स्थानीय लोग इबादत और पूजा-अर्चना के लिए जाते हैं. ऐसे में उन्हें मजबूरन इन्ही गंदे पानी से होकर जाना पड़ रहा है.कार्यादेश के महीनों बाद तक सुस्ती, आक्रोशइधर इस सड़क के पुनर्निर्माण को लेकर स्थानीय विधायक की अनुशंसा पर ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा इस सड़क के पुनर्निर्माण को लेकर टेंडर किया गया, जिसके बाद शशि गैल्वनाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड को इस सड़क के निर्माण का कार्यादेश दिया गया. स्थानीय लोग बताते हैं कि कार्यादेश मिलने के लगभग तीन माह बाद भी चयनित एजेंसी ने इस सड़क के निर्माण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है जो एजेंसी विभाग और जनप्रतिनिधियों के उदासीनता को दर्शाता है. लोगों का कहना है कि कार्यादेश मिलने के साथ ही अगर सड़क निर्माण का कार्य संपन्न हो चुका होता और आगामी पर्व त्योहारों में लोगों को काफी सहूलियत होती लेकिन सहूलियत तो दूर की बात है उल्टे बरसात की वजह से फजीहत दुगुनी हो गयी.

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