अररिया : धान खरीद के बाद इस बार सहकारिता विभाग द्वारा सभी जिलों को गेहूं खरीद करने का भी लक्ष्य दिया गया है. गेहूं खरीद के लिए 01 अप्रैल से तिथि का भी निर्धारण किया गया है. लेकिन खरीफ मौसम में जैसे की एक माह बाद धान अधिप्राप्ति शुरू हुआ था उसी प्रकार से गेहूं अधिप्राप्ति का भी वही हाल है. देखा जाए तो खरीद की तिथि तो दूर अब तक पैक्सों का निर्धारण भी नहीं हो पाया है.
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एक अप्रैल से ही शुरू होनी थी गेहूं की खरीद, अब तक नहीं हो पायी है शुरू
अररिया : धान खरीद के बाद इस बार सहकारिता विभाग द्वारा सभी जिलों को गेहूं खरीद करने का भी लक्ष्य दिया गया है. गेहूं खरीद के लिए 01 अप्रैल से तिथि का भी निर्धारण किया गया है. लेकिन खरीफ मौसम में जैसे की एक माह बाद धान अधिप्राप्ति शुरू हुआ था उसी प्रकार से गेहूं […]
हालांकि पैक्स समितियों की मानें तो उनके द्वारा खरीदे गये धान के एवज में अब तक चावल भी मिलर द्वारा एसएफसी को उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. इस कारण अब उनके गोदाम में गेंहूं खरीद कर जमा रखने का स्थान भी नहीं बचा है. ऐसे हाल में किसानों के गेहूं की अधिप्राप्ति कितना हो पाती है, देखना लाजिमी होगा. जबकि खरीद की तिथि के 15 दिन बीतने को हैं.
33 हजार हैक्टेयर में हुई है गेहूं की खेती
जिले में गेहूं की कटनी तेजी से चल रही है. किसान अपने गेहूं को बारिश व ओलावृष्टि के डर से आनन-फानन में काट रहे हैं. साथ ही इसे बेचेने की भी तैयारी में लगे हुए हैं. कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में इस बार गेहूं का आच्छादान 33 हजार हैक्टेयर में किया गया है. लेकिन रूक-रूक कर हो रही बारिश व ओलावृष्टि किसानों के अरमान पर पानी फेर रहे हैं.
गेहूं की फसल की क्षति हर वर्ष की बानगी बन गयी है. वहीं कृषि विभाग के फसलक्षतिपूर्ति के दावे भी हवा हो जाते हैं. ऐसे में इतनी मात्रा में गेहूं का आच्छादन करने वाले किसान क्या करें, उनके समझ में नहीं आता है. सहकारिता विभाग द्वारा गेहूं की खरीद करने का लक्ष्य तो दे दिया गया. लेकिन किसान कहां व किसे गेहूं बेचेंगे, यह अब तक तय नहीं हो पाया है.
गेहूं बेचने के लिए भी किसानों को कराना होगा ऑनलाइन आवेदन
सहकारिता विभाग की मानें तो धान अधिप्राप्ति की तरह ही गेहूं खरीद को लेकर भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
हालांकि गेहूं बेचने को लेकर अब तक जिले के किसानों के द्वारा ऑनलाइन निबंधन भी नहीं कराया गया है. यही नहीं मात्र 2000 एमटी लक्ष्य होने के कारण कितने किसान अपना गेहूं बेच पायेंगे कहना अतिश्योक्ति होगी. जानकार यह बता रहे हैं कि जिले में पिछले कई वर्षों से गेहूं की अधिप्राप्ति नहीं हुई है.
हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि इस वर्ष गेहूं की खरीद एजेंसी के माध्यम से कराया जायेगा. लेकिन किस एजेंसी के माध्यम से गेहूं की खरीद की जायेगी, यह अब तक तय नहीं हो पाया है. हालांकि गेहूं की खरीद पैक्सों से भी करानी की बात भी कही जा रही है. इस वर्ष सरकारी समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल होने की बात कही जा रही है.
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