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पुनर्वास नीति . नप क्षेत्र के महादलित परिवारों का है रोना, नहीं है रहने की जगह मलिन बस्ती के लोगों को पक्का मकान देकर व्यवस्थित करने का नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने निर्देश दिया था, लेिकन अब तक उन परिवारों को जमीन नहीं िमल पायी है. अररिया : अभी कुछ माह […]

पुनर्वास नीति . नप क्षेत्र के महादलित परिवारों का है रोना, नहीं है रहने की जगह

मलिन बस्ती के लोगों को पक्का मकान देकर व्यवस्थित करने का नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने निर्देश दिया था, लेिकन अब तक उन परिवारों को जमीन नहीं िमल पायी है.
अररिया : अभी कुछ माह पूर्व ही नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने नयी पुनर्वास नीति 2017 के तहत मलिन बस्ती के लोगों को पक्का मकान देकर व्यवस्थित करने का निर्देश दिया था. उन योजनाओं पर क्या अमल हुआ यह बाढ़ के बाद विस्थापित होने का दंश झेलने को मजबूर मलिन बस्ती के लोगों का दर्द देखने के बाद महसूस किया जा सकता है. बाढ़ के बाद नगर परिषद के वार्ड संख्या 16 के भूमिहीन महादलित परिवार पक्का मकान तो दूर अब सिर्फ घर बनाने के लिए जमीन की मांग को लेकर डीएम के कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूर हैं.
ऐसे लगभग 67 महादलितों ने डीएम को आवेदन देकर 04 डिसमिल जमीन देने की गुहार डीएम से लगायी है. यह लोग नहर किनारे स्थित तटबंध पर घर बनाकर रह रहे हैं. इन्हें वहां से हटाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई तो की जाती है लेकिन इसे अन्यत्र बसाने की मुहिम प्रशासनिक सतर पर सफल होती नहीं दिख रही है. कुछ वर्ष पूर्व नप क्षेत्र में ही 72 महादलितों को लगभग 4 एकड़ 80 डिसमिल जमीन देकर बसाने का प्रयास किया गया था. लेकिन कुछ भू माफियाओं के कारण इनमें से अधिकांश परिवार वहां से हटाये जा चुके हैं. परिणाम यह है कि अब वहां पर 30-40 परिवार ही किसी प्रकार से घर बनाकर रह रहे हैं. वहां से भू माफियाओं द्वारा भगाये गये परिवार पुन: नहर किनारे आकर बस गये हैं. जो परिवार अगस्त माह में आये बाढ़ के बाद विस्थापित होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. महादलितों के अनुसार अभी उनका मामला न्यायालय में चल रहा है.
डीएम से दलितों की मांग
नगर परिषद वार्ड संख्या 16 के राजू मल्लिक, पवन मल्लिक, विकास मल्लिक, संजय मल्लिक, राजेश मल्लिक समेत लगभग 67 परिवारों ने डीएम को आवेदन देकर सरकार द्वारा निर्धारित 04 डिसमिल जमीन घर बनाने के लिए दिये जाने की गुहार लगायी है. उन्होंने कहा है कि वे लगभग 20-25 वर्षों से नहर किनारे तटबंध पर रह रहे हैं. बार-बार नहर का बांध टूटने के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. भूमि आवंटन कराने को लेकर कई बार आवेदन दिया गया है. उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित 04 डिसमिल जमीन दिया जायेगा. अगर जमीन उपलब्ध करा दिया जाता तो वे अपने परिवार बच्चों के साथ खुशी-खुशी रहते. क्योंकि वे नहर में पानी आने के डर से सहमे-सहमे रहते हैं. बाढ़ के कारण घर भी क्षतिग्रस्त हो गये हैं.
नगर परिषद के नहर किनारे रह रहे हैं 67 परिवार
जमीन दिये जाने को ले डीएम से लगायी गुहार

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