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पिता के सामने बेटे को ट्रक ने रौंदा

फुलवारीशरीफ : खगौल मुख्य मार्ग पर शनिवार की सुबह आठ बजे बेलगाम रफ्तार ट्रक ने स्कूटी सवार बाप बेटे को जोरदार धक्का मार दिया. हादसे में स्कूटी चला रहे इंजीनियर बेटे की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. जबकि पिता बाल-बाल बच गये. हादसे में पिता को पैर में मामूली चोट लगी जबकि स्कूटी में […]

फुलवारीशरीफ : खगौल मुख्य मार्ग पर शनिवार की सुबह आठ बजे बेलगाम रफ्तार ट्रक ने स्कूटी सवार बाप बेटे को जोरदार धक्का मार दिया. हादसे में स्कूटी चला रहे इंजीनियर बेटे की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. जबकि पिता बाल-बाल बच गये. हादसे में पिता को पैर में मामूली चोट लगी जबकि स्कूटी में भी कुछ नहीं हुआ. मृतक अभिषेक उर्फ मुकेश कुमार चेन्नई के मदुरै में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. दो दिन पहले ही अपनी शादी के लिए छुट्टी लेकर घर आया था. इसी माह 25 फरवरी को गाजियाबाद के गोविंदपुरम सेक्टर एच-193 निवासी सुबीर पाठक और शीला पाठक की पुत्री विभाषा से होनी थी.

मुकेश की मौत की खबर गाजियाबाद पहुंची तो वहां भी कोहराम मच गया. शनिवार को घर में कथा होने वाला था. पूजा का सामान लाने सुबह पिता रमेश यादव के साथ मुकेश निकला था. वापसी में घर से चंद कदम दूर मुख्य मार्ग पर हादसे का शिकार हो गया. पिता रमेश की हालत पागलों सी हो गयी जबकि मां द्रोपदी देवी बेटे की मौत की खबर सुनकर पछाड़ खाकर बेहोश हो गयी. मृतक के भाई और दो बहनों का रो-रो कर बुरा हाल था. जिस घर में शादी के मंगल गीत गूंज रहे थे

वहां करुण क्रंदन से लोगों का कलेजा दहल उठा. फुलवारीशरीफ के चुनौती कुआं के मूल निवासी स्व दुःखन राय के बड़े पुत्र रमेश कुमार यादव अपने परिवार के साथ फुलवारीशरीफ के नालंदा बिस्कुट फैक्टरी के सामने गली में मकान बना रहते हैं. गली के मोड़ पर ही रमेश की सीमेंट गिट्टी बालू छड़ की दुकान भी है. बेटे अभिषेक उर्फ मुकेश कुमार की शादी को लेकर परिवार में तैयारियां जोरों पर थीं.

परिजनों का राे-रो कर बुरा हाल
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बाप-बेटे जैसे ही गली के मोड़ के नजदीक पहुंचे ही थे कि फुलवारी से खगौल की ओर तेज रफ्तार से जा रहे ट्रक ने धक्का मार दिया. धक्का लगते ही इंजीनियर मुकेश दूसरी तरफ गिरा और ट्रक का चक्का उसके छाती और सिर को कुचलते हुए खगौल की ओर भाग निकला. आसपास मौजूद लोग दौड़े और इंजीनियर मुकेश को आनन-फानन में पारस हॉस्पिटल ले गये. लेकिन, उसकी मौत हो चुकी थी. उसका मंझला भाई आशीष भी बेंगलुरु में इंजीनियर है, जो भाई की मौत की खबर सुनकर पटना के लिए रवाना हो गया.
सेहरा पहनने से पहले
घर से कफन ओढ़े निकली इंजीनियर की अरथी

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