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9 साल से नौकरी की तलाश में भटक रही है भारत की यह स्टार महिला हॉकी खिलाड़ी

नयी दिल्ली : चीन के खिलाफ एशिया कप फाइनल में निर्णायक पेनल्टी रोककर 13 साल बाद भारत की खिताबी जीत की सूत्रधार बनी महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया नौ साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में तमाम उपलब्धियों के बावजूद अभी तक नौकरी नहीं पा सकी हैं. भारतीय महिला हॉकी टीम में 2008 में पदार्पण […]

नयी दिल्ली : चीन के खिलाफ एशिया कप फाइनल में निर्णायक पेनल्टी रोककर 13 साल बाद भारत की खिताबी जीत की सूत्रधार बनी महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया नौ साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में तमाम उपलब्धियों के बावजूद अभी तक नौकरी नहीं पा सकी हैं.

भारतीय महिला हॉकी टीम में 2008 में पदार्पण करने वाली सविता ने जापान के काकामिगहरा में ही अपने करियर का 150वां अंतरराष्ट्रीय मैच खेला. अपने दिवंगत दादाजी महिंदर सिंह की इच्छा पूरी करने के लिये हॉकी में करियर बनाने वाली सविता ने मैदान पर तो कामयाबी की बुलंदियों को छुआ लेकिन निजी जीवन में अभी तक अपने लिये रोजगार नहीं जुटा सकी हैं.

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जापान से लौटने के बाद बातचीत में हरियाणा के सिरसा की इस गोलकीपर ने कहा, मेरी उम्र 27 बरस की होने वाली है और पिछले नौ साल से मैं नौकरी मिलने का इंतजार कर रही हूं. हरियाणा सरकार की मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना के तहत मुझे उम्मीद बंधी थी लेकिन वहां से सिर्फ आश्वासन ही मिलते रहे हैं. एशिया कप 2013 में भी मलेशिया के खिलाफ कांस्य पदक के मुकाबले में दो अहम पेनल्टी बचाकर भारत को पदक दिलाने वाली सविता के पिता फार्मासिस्ट हैं और अपने खर्च के लिये वह उन्हीं की कमाई पर निर्भर है.

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उसने कहा , मैं नौ साल से हाकी खेल रही हूं और आज भी अपने खर्च के लिये माता पिता से पैसा लेना पड़ता है जबकि इस उम्र में मुझे उनकी देखभाल करनी चाहिये. हर समय दिमाग में यह टेंशन रहता है कि मेरे पास नौकरी नहीं है. मैं अपने प्रदर्शन पर उसका असर नहीं पड़ने देती लेकिन हर जीत पर उम्मीद बंधती है और फिर टूट जाती है.यह सिलसिला सालों से चल रहा है. रियो ओलंपिक के बाद उसने भारतीय खेल प्राधिकरण में भी हाकी कोचिंग के लिये आवेदन भरा था लेकिन वहां से भी जवाब का इंतजार है.

अब एशिया कप में जीत के बाद सविता को फिर उम्मीद बंधी है कि खुद ओलंपिक पदक विजेता रहे खेलमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड उनकी परिस्थिति को समझेंगे और उन्हें जल्द ही कोई नौकरी मिलेगी. उन्होंने कहा , यह बहुत बड़ी जीत है और रियो ओलंपिक क्वालीफिकेशन के बाद यह मेरे करियर का सबसे बड़ा पल है. हमारे खेलमंत्री खुद ओलंपिक पदक विजेता रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि वह मेरी स्थिति समझेंगे और मुझे जल्दी ही कोई नौकरी मिलेगी. सविता ने यह भी कहा कि इस जीत से महिला हाकी में लडकियों का पूल बढ़ेगा.

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उन्होंने अपने प्रदर्शन का श्रेय गोलकीपिंग कोच और भारत के पूर्व गोलकीपर भरत छेत्री तथा मुख्य कोच हरेंद्र सिंह को देते हुए कहा, भारत में महिला हॉकी की लोकप्रियता में एशिया कप की जीत से इजाफा होगा और मुझे यकीन है कि और लड़कियां मैदान में आयेंगी. हमने अपने दम पर विश्व कप के लिये क्वालीफाई किया है और आने वाले समय में इस प्रदर्शन को दोहरायेंगे.

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