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सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई सुधार के लिए निर्देश देने संबंधी सुनवाई पूरी की

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में आज भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) में ढांचागत सुधार पर न्यायमूर्ति आरएम लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने पर एक दर्जन सुनवाई का लंबा सत्र खत्म हुआ. शीर्ष अदालत ने कोष के उपयोग तथा प्रदर्शन आडिट से बचने जैसे मुद्दों पर क्रिकेट बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई. जब […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में आज भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) में ढांचागत सुधार पर न्यायमूर्ति आरएम लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने पर एक दर्जन सुनवाई का लंबा सत्र खत्म हुआ. शीर्ष अदालत ने कोष के उपयोग तथा प्रदर्शन आडिट से बचने जैसे मुद्दों पर क्रिकेट बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई.

जब शीर्ष अदालत को बताया गया कि पिछले पांच साल में बीसीसीआई से 141 करोड़ रुपये प्राप्त करने वाले गोवा क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों को गबन के आरोपों में हाल में गिरफ्तार किया गया है तो अदालत ने कोष के आवंटन और इसके प्रयोग के मुद्दे पर कड़ी टिप्पणियां कीं.
न्यायमित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएम आई कलीफुल्ला की पीठ को न केवल गोवा क्रिकेट संघ के अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष की गिरफ्तारी से अवगत कराया बल्कि सौराष्ट्र क्रिकेट संघ और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) जैसे अन्य बोर्डों के मामलों के बारे में भी बताया.
जब वह अपनी दलीलें दे रहे थे तभी शीर्ष अदालत से गुहार लगाने वाले बिहार क्रिकेट संघ के सचिव आदित्य वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नलिनी चिदंबरम ने बीसीसीआई के नवनियुक्त अध्यक्ष अनुराग ठाकुर पर सवाल खड़े किये और दावा किया कि वह तीन आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं और फिर भी उन्हें बीसीसीआई का प्रमुख निर्वाचित किया गया है.
सुब्रमण्यम ने उनकी दलीलों का समर्थन किया कि लोढा समिति ने कहा था कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोपपत्र दायर है तो यह गंभीर मुद्दा है और उसे खेल संस्था के मामलों से दूर रखना चाहिए.

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