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वनडे टीम में वापसी करके खुश हैं मुरली विजय

नयी दिल्ली : जिंबाब्वे दौरे पर मिलने वाले संभावित मौके का फायदा उठाने को बेताब भारत के सलामी बल्लेबाज मुरली विजय ने कहा है कि 2008 से खेले 32 टेस्ट मैचों में मिली सफलता के बाद उन्हें वनडे टीम में जगह बनाने की उम्मीद थी. जिंबाब्वे में तीन वनडे और दो टी20 मैचों की श्रृंखला […]

नयी दिल्ली : जिंबाब्वे दौरे पर मिलने वाले संभावित मौके का फायदा उठाने को बेताब भारत के सलामी बल्लेबाज मुरली विजय ने कहा है कि 2008 से खेले 32 टेस्ट मैचों में मिली सफलता के बाद उन्हें वनडे टीम में जगह बनाने की उम्मीद थी.

जिंबाब्वे में तीन वनडे और दो टी20 मैचों की श्रृंखला के लिए विजय को अजिंक्य रहाणे की अगुआई वाली भारत की 15 सदस्यीय दूसरी श्रेणी की टीम में शामिल किया गया है. तमिलनाडु का यह सलामी बल्लेबाज दो साल बाद राष्ट्रीय वनडे टीम में जगह बनाकर खुश है. इससे पूर्व उन्होंने अपना पिछला मैच श्रीलंका के खिलाफ खेला था.

विजय ने कहा, वनडे में वापसी करके अच्छा महसूस हो रहा है. मैं टेस्ट में अच्छी बल्लेबाजी कर रहा हूं इसलिए मुझे सिर्फ मिलने वाले मौके का फायदा उठाना होगा. एक खिलाड़ी के रुप में मुझे टीम में जगह बनाने की उम्मीद थी. मैं 2013 चैम्पियन्स ट्रॉफी सहित चार श्रृंखलाओं में तीसरा सलामी बल्लेबाज था लेकिन मुझे मौका नहीं मिला.उन्होंने कहा, मुझे हमेशा खुद पर विश्वास रहा है. यह किसी से प्रतिस्पर्धा करने की तरह नहीं है.
मैं हमेशा खुद से प्रतिस्पर्धा करता हूं और अपने आप में सुधार की कोशिश करता हूं. ऐसा नहीं हैं कि मैं तीसरे सलामी बल्लेबाज के रुप में खेल रहा हूं और खुश हूं. मैं कभी खुश नहीं होता. मैं हमेशा भारतीय क्रिकेट का शीर्ष बल्लेबाज बनना चाहता हूं. अब तक भारत की ओर से 14 वनडे खेलने वाले 31 साल के विजय ने इस बातों को भी खारिज कर दिया कि वह सीमित ओवरों के क्रिकेट की तुलना में लंबे प्रारुप के लिए बेहतर हैं.
उन्होंने कहा, मैंने खुद को कभी इस तरह नहीं देखा जो नई गेंद के सामने टिककर खेलने की कोशिश करता है. मैं हमेशा गेंद पर रन बनाना चाहता हूं. अगर गेंद अनुकूल नहीं होती तो मैं इसे छोड़ देता हूं. ऐसा नहीं है कि मैं इस इरादे से बल्लेबाजी करने उतरता हूं कि मुझे इतनी गेंद खाली छोड़नी हैं. यह सिर्फ इतनी सी बात है कि मैं थोड़ी ठोस बल्लेबाजी करना चाहता हूं जिससे कि गेंदबाजों के खिलाफ मेरा दबदबा रहे. यह मेरी सोच है.
विजय ने कहा, इसे देखने के दो नजरिये हैं. या तो आप आक्रामक हो जाओ या रक्षात्मक रवैया अपना लो. लेकिन मैं सिर्फ अच्छे स्पैल का उचित तरीके से सामना करके खुद को आत्मविश्वास देना चाहता हूं और इसके बाद मैं फायदा उठाने की कोशिश करता हूं. इसकी मेरे मन में हमेशा आक्रामक होने की बात रहती है.

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