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आईजीसीएल को बीसीसीआई से मान्यता मिलने की उम्मीद

लखनऊ : ग्रामीण क्षेत्रों और दूरदराज इलाकों में छुपी क्रिकेट की नैसर्गिक प्रतिभा को निकालने के लिये इंडियन ग्रामीण क्रिकेट लीग (आईजीसीएल) की शुरुआत करने वाले अनुराग भदौरिया ने इसे एक नेक मकसद से शुरु की गयी लीग बताते हुए उम्मीद जतायी कि एक दिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) भी उसे मान्यता देगा. भदौरिया […]

लखनऊ : ग्रामीण क्षेत्रों और दूरदराज इलाकों में छुपी क्रिकेट की नैसर्गिक प्रतिभा को निकालने के लिये इंडियन ग्रामीण क्रिकेट लीग (आईजीसीएल) की शुरुआत करने वाले अनुराग भदौरिया ने इसे एक नेक मकसद से शुरु की गयी लीग बताते हुए उम्मीद जतायी कि एक दिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) भी उसे मान्यता देगा.

भदौरिया ने कहा कि गांवों और सुदूर क्षेत्रों में छुपी प्रतिभाओं को उपयुक्त मंच देकर उन्हें सामने लाना हमारा मुख्य उद्देश्य है. इसके लिये हम गांवों में ही आईजीसीएल के तहत टूर्नामेंट कराते हैं.

उन्होंने बताया कि वह जिलों में टूर्नामेंट कराते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में विभिन्न विकास खण्डों के अनेक गांवों की टीमें हिस्सा लेती हैं. उनमें से 11 सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों को मिलाकर उस जिले की आईजीसीएल टीम बनायी जाती है. अभी तक 32 जिलों में एक टीम तैयार हो चुकी है, जिनकी लीग कल लखनऊ के के. डी. सिंह बाबू स्टेडियम में शुरु हो रही है. इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करेंगे, जिसमें बालीवुड के भी कुछ कलाकार शिरकत करेंगे.

मुख्यमंत्री अखिलेश का खासा समर्थन हासिल करने वाली आईजीसीएल को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से मान्यता दिलाने के सवाल पर भदौरिया ने कहा हम अपनी मेहनत से बीसीसीआई को मान्यता देने के लिये मजबूर कर देंगे. अभी तो शुरुआत है. पहले हम लिखित परीक्षा पास कर लेंगे, तभी तो साक्षात्कार की बात करेंगे. जब हम गांवों से विशुद्ध प्रतिभाएं निकालकर देंगे तो उसकी हर स्तर पर मान्यता होगी.

उन्होंने कहा आज सवाल है सिर्फ एक अच्छा मंच देने का. कुदरती प्रतिभा की उर्जा को सही जगह लगाने का, जब यह सही जगह लगेगा तो रास्ते अपने-आप ही बनते जाएंगे. भदौरिया ने कहा कि आईजीसीएल को अभी काफी लम्बा सफर तय करना है. उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से सिर्फ 32 की ही टीम तैयार हुई है. अभी तकरीबन 43 और टीमें बनानी हैं. जब पूरे प्रदेश की टीमें तैयार हो जाएंगी तो उनमें से खिलाड़ी चुनकर आईजीसीएल यूपी बनायी जाएगी. इसी तरह अन्य प्रदेशों की भी टीमें बनायी जाएंगी, जो भविष्य में आपस में मैच खेलेंगी.

उन्होंने बताया कि वह पश्चिम बंगाल और हरियाणा के भी कई जिलों में इस लीग की शुरुआत कर चुके हैं. इरादा बहुत बडा है और सफर भी बहुत लम्बा. यह आसान तो नहीं है लेकिन हौसला बुलन्द है. अब हम चल पडे हैं, आगे जो होगा, देखा जाएगा.

आईजीसीएल के प्रति कारपोरेट समूहों तथा समाज के सम्पन्न वर्गों के रख के प्रति निराशा जाहिर करते हुए भदौरिया ने कहा जब मैं लखनऊ शहर में लीग आयोजित करने जा रहा हूं तो कारपोरेट घराने मुझसे अपना प्रायोजक बनाने के लिये सम्पर्क कर रहे हैं. दुख की बात है कि जब मैं गांव में आयोजित कर रहा था, तब किसी ने नहीं पूछा. यही हाल समाज के अन्य सम्पन्न वर्गों का भी रहा.

भदौरिया ने कहा कि आईजीसीएल को जितनी लोकप्रियता मिली है, उसका अंदाजा नहीं था. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि ग्रामीण इलाकों के युवाओं में इसे लेकर दीवानगी है. इस लीग ने ग्रामीण लड़कों को एक नया मंच और माहौल दिया है. इससे नई उम्मीदें जागी हैं.

उन्होंने कहा कि वह बेहद गरीब परिवार में पले-बढे हैं. उनके अंदर क्रिकेट की दीवानगी थी लेकिन गरीबी और सुविधाओं की कमी के कारण उनका क्रिकेट खिलाड़ी बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया. इस टीस ने उन्हें आईजीसीएल शुरु करने की प्रेरणा दी.

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