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ईडी ने 425 करोड़ रुपये के भुगतान मामले में बीसीसीआई व आईपीएल को नोटिस भेजा

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2009 में क्रिकेट मैचों पर आधारित मीडिया कार्यक्रमों के अधिकारों के ठेके में 425 करोड़ रुपये की राशि के भुगतान में विदेशी विनिमय संबंधी नियम कानून का कथित रूप से उल्लंघन के मामले में बीसीसीआई, आईपीएल, इनके अधिकारियों व निजी मल्टीमीडिया फर्मों को कारण बताओ नोटिस जारी किये हैं. ये […]

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2009 में क्रिकेट मैचों पर आधारित मीडिया कार्यक्रमों के अधिकारों के ठेके में 425 करोड़ रुपये की राशि के भुगतान में विदेशी विनिमय संबंधी नियम कानून का कथित रूप से उल्लंघन के मामले में बीसीसीआई, आईपीएल, इनके अधिकारियों व निजी मल्टीमीडिया फर्मों को कारण बताओ नोटिस जारी किये हैं.

ये नोटिस करीब दस लोगों एवं इकाइयों को जारी किये गये हैं. इनमें बीसीसीआई के पूर्व प्रमुख एन. श्रीनिवासन, आईपीएल चेयरमैन ललित मोदी, मुख्य परिचालन अधिकारी सुंदर रमन एवं वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप व मल्टी स्क्रीन मीडिया के अधिकारी शामिल हैं. आरोप हैं कि मीडिया अधिकार से संबंधित अनुबंधों में हेरा-फेरी की गयी और इस तरह अवैध भुगतान किये गये.

ये नोटिस ऐसे समय में जारी किये गये हैं जब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के खिलाड़ियों की आज बेंगलूर में नीलामी हो रही है.बीसीसीआई ने 2008 में 91.8 करोड डालर के भुगतान पर वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को 10 साल का मीडिया अधिकार दिया था. उसी साल, डब्ल्यूएसजी ने सोनी को मैचों का आधिकारिक प्रसारक बनाने के लिए मल्टी स्क्रीन मीडिया के साथ एक सौदा भी किया था. एक साल बाद इस सौदे की जगह नौ वर्षीय एक सौदा किया गया जिसके तहत मल्टी स्क्रीन मीडिया ने 16.3 लाख डालर का भुगतान किया.

प्रवर्तन निदेशालय ने 2009 में इस मामले में दखल दी और लेन देन में विदेशी मुद्रा प्रबंध कानून (फेमा) के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए फेमा के तहत जांच शुरु की. मल्टी स्क्रीन मीडिया-सिंगापुर पर आरोप है कि उसने वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) मारीशस को अनाधिकृत तरीके से 425 करोड़ रुपये सुविधा शुल्क का अनधिकृत तरीके से भुगतान किया.

सूत्रों के अनुसार एजेंसी को पता चला कि नियम और शर्तों के तहत क्रिकेट से जुड़ी नियमाकीय संस्थाओं के बजाय अधिकृत व्यक्तियों के फायदे के लिए भुगतान किये गये.

सूत्रों के अनुसार एजेंसी ने अब उन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किये हैं जो उस समय सौदे पर हस्ताक्षर करने वाले संगठनों के शीर्ष पर थे या उस पर हस्ताक्षर के लिए अधिकृत थे. ये नोटिस फेमा और रिजर्व बैंक के नियमों के उल्लंघन के आरोप में जारी किये गये हैं.

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