मुंबई : भारत के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर को सीके नायडू पुरस्कार के लिए चुना गया है. पुरस्कार के लिए चुने जाने पर वेंगसरकर काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस साल के कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए चुना जाना सम्मान की बात है. वेंगसरकार ने कहा, मैं सीके […]
मुंबई : भारत के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर को सीके नायडू पुरस्कार के लिए चुना गया है. पुरस्कार के लिए चुने जाने पर वेंगसरकर काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस साल के कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए चुना जाना सम्मान की बात है.
वेंगसरकार ने कहा, मैं सीके नायडू पुरस्कार के लिए चुने जाने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं जो मुझे लगता है कि यह भारत में क्रिकेट से जुडा सर्वोच्च सम्मान है. अजब संयोग है कि 116 टेस्ट मैच खेल चुके पूर्व मुख्य राष्ट्रीय चयनकर्ता को कर्नल के नाम से भी जाना जाता है और उनका यह नामाकरण देश के पहले टेस्ट कप्तान नायडू की तरह बल्लेबाजी की शैली होने के लिए किया गया था.
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता, बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष शिवलाल यादव और उनके मानद सचिव संजय पटेल जैसों सदस्यों की एक समिति ने पुरस्कार के लिए वेंगसरकर को नामित किया था. 58 वर्षीय दायें हाथ के बल्लेबाज को भारतीय क्रिकेट टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले 21 नवंबर को आयोजित होने वाले बोर्ड के वार्षिक पुरस्कार समारोह में यह पुरस्कार दिया जाएगा.
पुरस्कार के साथ एक प्रशस्ति पत्र, ट्रॉफी और 25 लाख रुपये का एक चेक भेंट किया जाएगा. वेंगसरकर इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए बीसीसीआई द्वारा नामित किए जाने वाले 19वें व्यक्ति हैं. वेगसरकर 1975-76 के सत्र की शुरुआत में ईरानी ट्रॉफी के एक मैच में मुंबई की तरफ से शेष भारत के खिलाफ एक शानदार शतक जमाकर पहली बार चर्चा में आए थे. अपनी इस पारी में उन्होंने इरापल्ली प्रसन्ना और बिशेन सिंह बेदी जैसे महान स्पिनरों के खिलाफ कई छक्के जमाये थे.
इसके तुरंत बाद उन्हें न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के दौरों के लिए भारतीय टीम में चुना लिया गया और उन्होंने ऑकलैंड में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना टेस्ट पर्दापण किया. वेंगसरकर ने आने वाले सालों में अलग अलग प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ कुछ बेहतरीन पारियां खेली.
वह लार्ड्स क्रिकेट मैदान पर तीन टेस्ट शतक जडने वाले अकेले गैर अंग्रेज बल्लेबाज हैं. इनमें से उनके तीसरे : 1986 में 126 रन : शतक की बदौलत भारत ने लार्ड्स पर पहला टेस्ट जीता था. वह सुनील गावस्कर के बाद 100 टेस्ट शतक खेलने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज थे. वह विश्व कप 1983 और 1985 विश्व चैम्पियनशिप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य भी रहे. उन्होंने 1987 से 1989 के बीच 10 टेस्ट और 129 वनडे में भारत की कप्तानी भी की.
बाद में उन्होंने क्रिकेट कोचिंग और प्रशासन में पदार्पण करके मुंबई और पुणे में अकादमियां स्थापित की. उन्होंने मुंबई क्रिकेट संघ का चुनाव लडा और उपाध्यक्ष बने. वह 2006-07 और 2007-08 के बीच राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष रहे जब शरद पवार बीसीसीआई प्रमुख थे.